पिता का दर्द बेटी के लिए father's pain for daughter😙👨‍👨‍👧

 

ज्योति लव मैरिज कर के घर आई और अपने पापा से बोल रही पापा आज मैं अपने मनपसंद लड़के के साथ शादी कर ली है,

 पिता यह बात सुनकर गुस्से में आ जाते हैं और उन दोनों को अपने घर से निकलने के लिए बोलते हैं 

ज्योति बोलती है पापा अभी इनके पास कोई काम नहीं है हमें रहने दीजिए जब इनको को काम मिल जाएगा तो हम चले जाएंगे,

 लेकिन उसके पापा उसकी कोई बात नहीं सुनते हो और उसे बाहर निकाल देते हैं,

कुछ साल बीतने के बाद एक दिन खबर मिलती है कि ज्योति के पापा नहीं रहे और दुर्भाग्य  कि जिस लड़की से ज्योति ने शादी की थी,

 वह लड़का भी उसे धोखा देकर भाग गया था ज्योति के दो बच्चे थे एक लड़की और एक लड़का ज्योति खुद का अपना एक रेस्टोरेंट चला रही थी,

 जिससे उसका जीवन बीत रहा था ज्योति को जब यह खबर ख़बर मिली उसके पापा नहीं रहे,

ज्योति अपने मन में सोचती है अच्छा हुआ मुझे घर से निकाल दिया था,

 दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हो गई थी मैं मेरे पति के छोड़ जाने पर भी मुझे घर नहीं बुलाया,

मैं तो नहीं जाऊंगी,

ताऊ जी ने उसे समझाते हुए कहा ज्योति जाने वाला तो चला गया.

 अब  दुश्मनी कैसे आखिर ये उनका अंतिम सफर है ज्योति सोचते हुए कहती हैं,

 चलो देख लेते हैं जिसने मुझे अपने घर से निकाला वह कैसे सुकून से रह पाते हैं,

 ज्योति  जब पापा के घर पहुंचती है तो सब उनकी आखिरी सफर की तैयारी कर रहे थे,

 लेकिन ज्योति को उनके मरने का कोई दुख नहीं था

 वह तो सिर्फ ताऊ जी के कहने पर आए थे,

 ज्योति के पापा के अंतिम यात्रा शुरू हो गई सब रो रहे थे,

 लेकिन ज्योति दूर खड़ी थी ज्योति के पापा का जैसे तैसे सारा कार्यक्रम निपट गया,

 और आज उनकी तोरही थी ज्योति के ताऊ ज्योति के पास आते हैं,

 और उसके हाथों में एक खत पकड़ते हुए कहते हैं,

 यह तुम्हारे पिता ने दिया है हो सके तो इसे पढ़ लेना अब रात हो चुकी थी,

 सारे मेहमान जा चुके थे ज्योति ने खत निकाला और पड़ने लगी,

 लिखा था

                मेरी प्यारी बेटी मुझे पता है कि तुम मुझसे नाराज हो लेकिन मुझे माफ कर देना,

 मैं जानता हूं कि मैंने तुम्हें घर से निकाला था और तुम्हारे पास रहने के लिए जगह भी नहीं थी,

 तुम दर-दर की ठोकरें खा रही थी लेकिन मैं भी उदास था तुम्हारे बिना मैं कैसे बताऊं,

 तुम्हें याद है जब तुम 5 साल की थी तब तुम्हारी मां हमें छोड़ कर चली गई थी,

 तो तुम कितना रोती थी और डरती थी तुम मेरे बिना सोती नहीं थी ,

जब तुम रातों को उठ कर रोते थे तो मैं तुम्हारे साथ सारी रात जागता था,

उस वक्त तुम स्कूल जाने से डरती थी तो मैं तुम्हारे साथ सारा दिन स्कूल की खिड़की पर खड़ा रहता था,

 वह कच्चा पक्का खाना जो तुम्हें पसंद नहीं आता था

 तो उसे फेंक कर मैं अपने हाथों से दूसरा बनाता था,

 क्योंकि तुम भूखे ना रहो,

 याद है जब  तुम्हें पहली बार बुखार आया था तो मैं सारा दिन तुम्हारे पास बैठा रहता था,

 और अंदर ही अंदर रोता था और तुम्हें हंसाता था कि तुम ना  रोए तुम  हाई स्कूल की परीक्षा के लिए तुम सारी रात पढ़ा करती थी,

और मैं तुम्हें चाय बना कर दिया करता था याद है तुम्हें जो तुम्हारी पहली जींस छोटे कपड़े और पहली गाड़ी सारी कॉलोनी एक तरफ थे,

 कि यह सब नहीं चलेगा लड़की छोटे कपड़े नहीं पहने गी पर मैं तुम्हारे साथ खड़ा था,

 तुम्हारी खुशी में किसी को बाधा नहीं बनने दिया तुम्हारा वह रातों का आना दारु पीना डिस्को जाना लड़कों के साथ घूमना यह सब मैं अनदेखा करता था,

 क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि तुम्हारी खुशी में कोई रुकावट हो,

 लेकिन तुम एक दिन एक लड़के से शादी कराई जिससे तुम्हें खुद उसके बारे में पता नहीं था,

 मैं तुम्हारा पिता होने के नाते मैंने सबकुछ उस लड़के के बारे में पता किया,

  वह लड़का जाने कितनी लड़कियों को पैसे और वासना के चक्कर में धोखा दिया है,

 लेकिन तुम तो उस वक्त प्रेम में अंधे थी तुमने मुझसे एक बार भी नहीं पूछा,

 और सीधा शादी करके आ गई मेरे कितने अरमान थे कि मैं तुम्हें चांद तारों की तरह सजाऊ गा तुम्हें ढोली में विदा करूंगा,

 और लोग देख कर कहेंगे कि देखो  शर्मा जी की बेटी कितनी धूमधाम से शादी हो रही है,

 लेकिन  तुमने तो मेरे सारे ख्वाब तोड़ दिए,

 मैंने तो तुम्हारे लिए खत इसलिए छोड़ा है,

 मेरी बेटी मैंने जो तुम्हारी शादी के लिए गहने खरीदे थे और तुम्हारी मां के भी गहने वह सारे उस अलमारी में रखे हैं ,

और मैंने जो पैसे बचे थे उसे मैंने तुम्हारे नाम से बैंक में जमा करा दिए हैं 

और तीन चार घर की प्रॉपर्टी भी मैंने तुम्हारे नाम कर दी है,

 और आखरी में इतना कहूंगा मेरी बेटी काश तुम मुझे समझी होती मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं था मैं तो तुम्हारा अपना पिता था,

  तुम्हारी मां के मरने के बाद तुम्हारी खुशी के लिए  हमने दूसरी शादी नहीं की,

 मैंने कितने ताने सुने कितने रिश्ते ठुकराए कितने दर्द सहे हैं ,

लेकिन मैंने तुम्हारी खुशी के लिए  मैंने सब बर्दाश्त किया

 जिस दिन तुम शादी के जोड़े में घर आई थी मैं उस दिन इतना टूटा था जितना मैं तुम्हारी मां के छोड़ जाने के बाद भी मैं नहीं टूटा था,

इसलिए नहीं कि मुझे जाति समाज लोग क्या कहेंगे बाकी इसलिए कि वह मेरी बेटी जो मुझे सुसु करने के लिए मुझे रात में कई बार उठाती थी,

 उसने आज मुझे बिना बताए शादी कर ली है अपनी जिंदगी का फैसला कर लिया है,

 मेरी बेटी अब मैं खत यही समाप्त करता हूं और हो सके तो मुझे माफ कर देना,

 मेरी बेटी और उसी खत के साथ उस लड़की की एक फोटो भी थी,

 जो उसने बचपन में खिंचाई थी खत पढ़कर ज्योति की आंखों में आंसू आ जाते हैं,

 तभी ताऊ जी आते हैं और बोलते हैं ज्योति जो पैसे मैंने तुम्हें रेस्टोरेंट खोलने के लिए दिए थे,

 वह मैंने नहीं तुम्हारे पिताजी ने दिए थे ज्योति अब जोर जोर से रोने लगी है

 और अपने किए पर पछतावा आ रहा था 

औलाद कितन भी  नमक हराम क्यों ना हो जाए लेकिन माता-पिता के दिल में अपने बच्चों के लिए उतना ही प्यार होता है

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