डरावनी राते यह कहानी तब की है जब मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे।मैं घर से दूर शहर में हॉ…
ये कहानी सच्ची घटना पर आधारित है। मेरा नाम प्रवीण है और यह घटना मेरे साथ तब घटी थी जब …
मेरी दादी कहती थी शाम को 6 बजे मगरिब के समय कभी अकेले सुनसान जगह पर नही जाना चाहिए |जै…
दिसंबर का महीना था इस कड़क ठंड में छत के ऊपर गुनगुनी धूप को अपने बदन पर महसूस कर रहा थ…
हमने पार्ट 1मैं पढ़ कोसल्य कुलदीप को एक बस स्टॉप पर मिलती है। और कुलदीप को कोस…
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