💕 प्यार +35best|Love Stories|sad story in Hindi💏



प्रिया और रघु एक दूसरे से बहुत प्यार करते हो वह दोनों एक ही कॉलेज में एक ही साथ पढ़ाई करते थे,

उन दोनों का यह आखिरी साल स्कूल में था,


 1 दिन प्रिया और रघु एक बार में घूमने जाते हैं प्रिया रघु से पूछती है रघु तुम मुझसे कितना प्यार करते हो तुम मुझसे शादी भी करोगे या यूं ही प्यार करके छोड़ दोगे,


रघु- प्रिय तुम कैसी बातें कर रही हो यह कैसा सवाल है,


प्रिया- मैं इसलिए बोल रही हूं कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं 

और तुम से दूर नहीं रह सकती और मैं मन ही मन मैं तुमको अपना सब कुछ मान चुकी हूं,

 और तुमने अगर कभी मुझे छोड़ दिया तो मैं मर जाऊंगी बोलते बोलते पिया की आंखों में आंसू आ गए,


 रघु प्रिया की आंखों में आंसू देख उसे अपने गले से लगा लिया,

 और बोला डियर मैंने तुम्हें छोड़ने के लिए थोड़ी प्यार  किया था,

 तू मेरी जान हो मेरी सांसे हो मेरी धड़कन हो मैं तुम्हें कभी अपने से जुदा नहीं करूंगा

 और यही नहीं मैं तुम्हें सात जन्म तक चाहूंगा,


 रघु बोलता है-डियर तुम चिंता ना करो मैं जल्दी अपने घर में तुम्हारे और हमारे रिश्ते के बारे में बात करेंगे और फिर प्रिया रघु अपने घर आ जाते हैं,

कुछ महीनों में उन दोनों का स्कूल भी खत्म हो गया और वह दोनों अपने अपने घर आ गए

 दोनों का मिलना तो कम हो गया था,


 लेकिन उनके दिल में  प्यार और भी ज्यादा एक दूसरे के लिए बढ़ गया था,

 वह दोनों अक्सर फोन पर बातें किया करते थे

 कभी-कभी पार्क में मिलने भी  जाया करते थे,

 एक दिन रघु प्रिया के पास फोन करता है 

उससे बोलता है,


 डियर मैंने अपने माता-पिता को अपने और तुम्हारे रिश्ते के बारे में मना लिया है,

 मैं कल ही तुम्हारे घर तुम्हारा हाथ मांगने के लिए आऊंगा यह बात सुनकर प्रिया खुश हो जाती है,

और खुशी से उछल कूद लगाने लगती है,

और रघु से बोलती है मेरे राजा तुमने तो आज मुझे खुश ही कर दिया,


 तुम आओ तुम्हारा बेसब्री से इंतजार है

 इतना बोल कर वे दोनों फोन रख देते हैं दूसरे दिन प्रिया एकदम रेडी हो जाती है,

 और सुबह से ही उसका इंतजार करने लगती है,

दूसरी तरफ रघु अपने माता पिता को लेकर आता है,

 रघु जब प्रिया के घर के पास पहुंचता है,


तो देखता है कि प्रिया का घर बहुत बड़ा है उसे घर में नौकर चाकर सब लगे हैं ,

रघु अब अपने मन में प्रिया और रघु की हैसियत में डिफरेंट समझने लगा था,

 उसे लग रहा था कि प्रिया के पिता इस रिश्ते को एक्सेप्ट  करेंगे या नहीं,


 लेकिन वह फिर भी हिम्मत करके प्रिया के घर की बेल बजा देता है,

बेल सुनकर प्रिया को पता चल जाता है कि रघु आ गया और वह दौड़ कर खुद ही दरवाजा खोलती है,

 रघु की फैमिली का स्वागत करती है और अंदर आने के लिए बोलते हैं,

अंदर प्रिया के पिता भी होते हैं प्रिया उनको बताती है प्रिया नाश्ता लाने के लिए जाती है,

 और उसके पिता और रघु की पिता दोनों बैठ कर बातें कर रहे होते हैं ,

बात को आगे बढ़ाते हुए रघु के पिता रघु और प्रिया के रिश्ते के बारे में बात करने लगते हैं,

 प्रिया के पिता रघु से पूछते हैं बेटा तुम क्या करते हो रघु बोलता है,



 अंकल जी मैंने नेवी में बड़ी पोस्ट पर फॉर्म डाल रखा है और रिजल्ट आना बाकी है,

 प्रिया के पिता बोलते हैं बेटा  उस पोस्ट पर तुम्हारी सैलरी कितनी होगी,

 रघु बोलता है अंकल जी यही कुछ 35 40 हजार फिर प्रिया के पिता गुस्से में बोलते हैं क्या तुम्हें पता है जितनी तुम्हारी सैलरी है उतनी तो मेरी बेटी हर महीने शॉपिंग करके ही खत्म कर देती है,


 क्या तुम्हें यह नहीं पता कि मेरी बेटी हफ्ते में 8 से 10000 की शॉपिंग ही करके खर्चा कर देती है ,

बेटे की बेइज्जती देख रघु के पिता भी गुस्से में आ गए और बोले तुम्हें कुछ ज्यादा ही घमंड है अपनी धन दौलत पर रखिए अपना रिश्ता हमें नहीं करनी ऐसे घमंडी लोगों  के यहां रिश्ता,


 रघु का हाथ पकड़ कर बाहर की ओर चले आते हैं लेकिन फिर भी एक बार रघु प्रिया के पिता के सामने हाथ जोड़ता है और बोलता है,

 अंकल जी मैं आपकी बेटी से बहुत प्यार करता हूं और प्रिया भी मुझे बहुत प्यार करती है,


 प्लीज आप ऐसा ना करें मैं आपसे वादा करता हूं कि मैं आपकी बेटी को बहुत खुश रखूंगा,

 उसे किसी प्रकार का दुख नहीं होने दूंगा दरवाजे के पीछे खड़े होकर प्रिया यह सब बातें सुन रही थी,


 अपने प्रति रघु के दिल में इतना प्यार देखकर प्रिया की आंखों में आंसू आ जाते हैं,

 और वह अपने पिता से बोलती है पिताजी मैं रघु से प्यार करती हूं और उसी से ही शादी करना चाहती हूं ,

बेटी की बात सुनकर पिता और गुस्से में हो जाते हैं और उसे खींचकर एक थप्पड़ लगा देते हैं,


 प्रिया रोते हुए अपने कमरे में चली जाती है प्रिया के पिता अपने नौकर से बोलते हैं इन लोगों को धक्के मार के मेरे घर से बाहर निकाल दो,


 रघु के पिता निराश होकर घर से बाहर निकल जाते हैं और फिर प्रिया के पिता ने एक अच्छे घर में प्रिया की शादी तय कर देते हैं और इसी हफ्ते के अंदर उन दोनों की सगाई भी हो गई,


 दूसरी तरफ रघु का जॉइनिंग लेटर भी आ जाता है और उसे नौकरी मिल जाती है नई नई नौकरी पाकर  रघु कुछ ज्यादा ही बिजी हो जाता है,


 और 1 महीने तक प्रिया से बात नहीं होता फिर एक दिन प्रिया रघु के पास फोन करती है और बोलती है रघु तुम कहां चले गए थे,


 तुम्हारा नंबर नहीं लग रहा था तो मैंने अपनी सहेली को तुम्हारे घर पर भेजा लेकिन तुम्हारे घर में तो ताला लगा था

 रघु ने  आपबीती बताई,

 फिर प्रिया ने बताया रघु मेरे पिता ने मेरी शादी और कहीं और तय कर दी है  और मेरे पिता ने जबरदस्ती मेरी सगाई भी करा दी है और जल्द ही मेरी शादी होने वाली है,

 प्रिया रोते हुए बोलती है रघु तुम जल्दी यहां आ जाओ नहीं तो मैं जहर खा लूंगी मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती रघु प्लीज,


रघु-  देखो प्रिया तुम्हें कसम है हमारी  तुम कोई ऐसा  कदम नहीं उठा होगी जिससे तुम्हारे घरवालों की बदनामी हो,

 प्रिया अगर हमारा प्यार सच्चा है तो उसे मिलने से कोई नहीं रोक सकता,


  भागकर पर भरोसा रखना चाहिए जिसने हमें मिलाया जिसने हमें तुमसे प्यार कराया

 वह हमें फिर से मिलाने का  कोई ना कोई रास्ता जरूर निकलेगा,

 अगर हमने भाग कर शादी भी की  तो ऐसा ही हमारे बच्चे भी करेंगे और फिर हमें भी बहुत शर्मिंदा होना पड़ेगा,

 प्रिया हमें अपने प्यार पर पूरा विश्वास रखना होगा

 बस तुम ऐसा ही करो जैसे तुम्हारे घर वाले कहते हैं कितना बोल कर रघु  की आंखों में आंसू आ जाते हैं लेकिन इस बात को जाहिर नहीं होने देता है और प्रिया को जहर खाने से बचा लेता है


और प्रिया को समझाते हुए वह दोनों फोन रख देते हैं फोन रखते ही रघु जोर जोर से रोने लगता है

 और वह फर्श पर लेट जाता है,


 धीरे-धीरे प्रिया की शादी का दिन करीब आ जाता है प्रिया को दुल्हन की तरह सजाया जाता है,

 लेकिन प्रिया बहुत उदास होती है फिर भी कुछ नहीं कर सकती बरात आ जाती है,

 और प्रिया को दुल्हन के जोड़े में सीढ़ियों से नीचे उतारा जाता है,

 प्रिय रघु के बारे में कुछ सोच ही रही होती है तभी उसे चक्कर आ जाता है,


 और सीढ़ियों से नीचे गिर जाती है और उसके पैर में और सिर में काफी ज्यादा छोटे आ जाती है,

 प्रिया के पिताजी उसे अस्पताल लेकर जाते हैं लेकिन प्रिया बहुत ज्यादा चोट आ जाती है ,


उसके पैर की हड्डी फैक्चर हो जाती है और सिर से खून भी निकल रहा था,

ट्रीटमेंट होने के बाद डॉक्टर बताते हैं प्रिया की टांगों में बहुत ज्यादा चोट आ गई है इसी कारण वह एक पैर से थोड़ा कमजोर हो जाएगी,


 प्रिया के पिता जी यह बात सुनकर बहुत दुखी हो जाते हैं और वहीं पर खड़े दूल्हे के पिता जी को यह बात जब पता चलती है,


तो इस रिश्ते को मना कर देते हैं प्रिया के पिताजी अपने होने वाले संधि को बहुत मनाते हैं,

 उनसे हाथ जोड़ते हैं और बोलते हैं कि मैं 10 से 1500000 रुपए खर्च करके में अपनी बेटी का पैर सही करा दूंगा कृपया इस रिश्ते को ना तोड़े,


 दूल्हे के पिता जी कहते हैं क्या तुम मेरे बेटे को 10 से 1500000 रुपए में खरीदना चाहते हैं ,

तुम्हारी हैसियत किया है मेरे बेटे को खरीदने जितना तुम अपनी बेटी की बीमारी में खर्च कर रहे हो उतना तो मेरा बेटा लड़कियों के साथ 1 महीने में अय्याशी करने में उड़ा देता है,


 मैं तुम्हारे यहां इसलिए शादी करा था क्योंकि तुम्हारी बेटी बहुत ही सुंदर थी,

 नहीं तो मैं तुम्हारे घर की तरफ आता ही नहीं इतना बोल कर दूल्हा और बाराती  सब वहां से चले जाते हैं ,


और प्रिया के पिताजी बहुत उदास हो जाते हैं और फर्श पर बैठ कर रोने लगते हैं,

 दूसरी तरफ रघु को जब यह बात पता चलती है कि प्रिया हॉस्पिटल में है ,


तो वह दौड़कर हॉस्पिटल जाता है वहां प्रिया बेड पर  पड़ी होती है ,


वह प्रिया से बोलता है प्रिया तुमने क्या किया लेकिन प्रिया बेहोश होती है,


और वह उसी के पास बैठा रहता है,

 इधर पिया के पिता फर्श पर बैठे रो रहे थे ,

करीब 4 घंटे के बाद प्रिया को हो सकता है ,

और वह व्हीलचेयर पर बैठकर बाहर अपने पिता के पास आती है,


 उसके पिता देखते हैं रघु पिया को व्हील चेयर पर बैठा कर बाहर  लेकर आ रहा है,

 बेटी को देख पिता अपने  आंखों से निकल रहे आंसू को साफ करते  है और खड़ा हो जाता है ,


और बोलता है बेटा जिससे तुम्हारी शादी हो रही थी वह लोग रिश्ता तोड़ कर चले गए ,

फिर बेटी ने पिताजी का हौसला बढ़ाते हुए कहा पिताजी जो होता है सब अच्छे के लिए होता है ,


और  दूल्हा तो आपके सामने खड़ा है पिताजी इज्जत से बढ़कर कोई धन दौलत नहीं होती,

 और हमें सिर्फ प्यार करने वाला लड़का चाहिए धन दौलत नहीं तब तक रघु के माता और पिता भी आ जाते हैं ,

लड़की के पिता रघु से और उसके माता-पिता के सामने हाथ जोड़ते हैं,

और बोलते हैं मुझे माफ कर दीजिए उस दिन मैंने आपकी बहुत बेज्जती की थी ,


 शायद मैं अपनी धन और दौलत के घमंड मैं था  लेकिन आज मेरी आंखें खुल गई हैं,


 समधी जी माफ कर दीजिए और मेरी बेटी को अपने घर की बहू बना लीजिए,

 रघु के पिता आस्ते हुए उसे अपने गले से लगा लेते हैं और सब कुछ ठीक हो जाता है,


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