एक छोटे से गांव में दो प्रेमी जोड़े रहा करते थे
लड़की का नाम सुमन लड़के का नाम दीपांशु था, दोनों एक दूसरे को दिलों जान से प्यार किया करते थे, सुमन देखने में बहुत ही खूबसूरत थी उसका सांवला रंग कजरारी गोल मटोल आंखें ऐसा लगता था,कि भगवान ने से बड़ी फुर्सत में बनाया है, और वही दीपांशु भी किसी से कम नहीं था हैंडसम बॉय था, उन दोनों के प्यार के चर्चे इतने थे, कि गांव में बच्चा बच्चा उन दोनों की प्रेम कहानी को जानता था,
दीपांशु गांव के सभी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करता था, सुमन दीपांशु से मिलने उसके कोचिंग सेंटर मैं आया करती थी, और किसी काम के बहाने उसे कमरे में ले जाकर उसे अपने सीने से लगा लिया करती थी, और फिर थोड़ी देर बाद वहां से चली जाती,1 दिन दीपांशु ने सुमन से कहां सुमन तुम रोज मेरे कोचिंग सेंटर में आती हो और मुझे किसी बहाने से अपने गले लगाती हो और उसके बाद तुम चली जाती हो, आखिर ऐसा क्यों,यह बात सुनकर सुमन दीपांशु के सीने से फिर लिपट जाती है और बोलती है माय डियर अगर मैं तुम्हें अपने सीने से ना लगाऊ तो मेरे दिल में बेचैनी सी रहती है,सारा दिन मुझे पहाड़ जैसा लगता है, दिन काटने का नाम ही नहीं लेता, और मैं जिस दिन तुम्हें अपने गले ना लगा हूं उस दिन मेरा कुछ करने का मन ही नहीं करता, मुझे खुद भी नहीं पता की तुमसे इतना प्यार मुझे क्यों हो गया है,अब तो मुझे रात को तुम्हारे सपने भी आने लगे हैं,मुझे लगता है कहीं मैं तुम्हारे प्यार में पागल ना हो जाऊं, इतना कहते ही सुमन की आंखें नम हो गई और दीपांशु से बोली दीपांशु तुम मुझे कभी छोड़ मत देना, नहीं तो मैं तुम्हारे बगैर नहीं जी पाऊंगी,
सुमन इतना बोली ही थी, दीपांशु ने उसे झट से अपनी बाहों में कस कर भर लिया, दीपांशु और सुमन दोनों ने गांव के बाहर वाली मंदिर पर, उन दोनों ने भगवान को साक्षी मानकर एक दूसरे के गले में माला डालकर साथ जीने मरने की कसमें खाई और दीपांशु ने वादा किया कि वह उसे जल्द ही शादी करेगा, सुमन ने दीपांशु के पैर छूकर उसे अपना पति मान बैठी थी, अब दोनों का प्यार और भी गहरा हो चुका था, उन दोनों का प्यार सिर्फ जिस्मो से नहीं एक दूसरे की आत्माओं से भी जुड़ चुका था,
धीरे-धीरे समय बीतता गया महीने का दिन बीत गया करवा चौथ का दिन आ गया था ,सुमन ने करवा चौथ का व्रत रख लिया, और उसी समय दीपांशु की नौकरी लग गई थी,करवा चौथ के दिन ही उसकी जॉइनिंग थी जॉइनिंग लेटर मिलते ही दीपांशु बहुत खुश हो गया देवांशु सुमन को सरप्राइज देना चाहता था,
इसीलिए सुमन को बिना बताए घरवालों के साथ शाम को ही जयपुर चला गया नौकरी ज्वाइन करने के लिए, सुमन अगली सुबह जब करवा चौथ भूखी थी तब वह दीपांशु के घर गई तो उसने देखा कि उसके घर में तो ताला लगा हुआ था, पड़ोसियों से पूछने के बाद पता चला कि उसकी बड़ी जॉब लग गई है इसीलिए अपने घर वालों के साथ शहर चला गया है , यह बात सुनकर सुमन को बहुत जोरो का झटका लगा,उसकी आंखें नम हो गई थी रोना चाहती थी, लेकिन रो नहीं सकती थी उसने किसी तरह अपने आप को कंट्रोल किया और वापस घर चली गई,घर जाकर अचानक उसकी बहुत ज्यादा तबीयत खराब हो जाती है, और आनन फानन में उसके घरवाले उसे अस्पताल में एडमिट कराते हैं जहां सुमन बेहोश पड़ी होती है ,
थोड़ी देर बाद सुमन को होश आ जाता है और वह रोने लगती है ,और उसके मुंह से सिर्फ इतना ही निकलता है दीपांशु को बुला दो मुझे उससे मिलना है वह घर छोड़कर कहीं चला गया है,सिर्फ एक बार दीपांशु को बुला दो, लेकिन दीपांशु के घर मैं ताला लगा होता है, सुमन की मा ने कहां बेटी तुम्हें बहुत जोर का बुखार है दवाई तो खालो बेटी,
सुमन ने कहा मां मेरा आज व्रत है अगर दीपांशु आज नहीं आया तो मैं भूखी मर जाऊंगी लेकिन खाना नहीं खाऊंगी, उसकी ऐसी हालत देखकर उसके घर वाली बहुत ज्यादा परेशान थी, क्योंकि सुमन अपने घर की इकलौती बेटी थी, उसे सब लाड प्यार से रखते थे, लेकिन अब तो सुमन दीपांशु के प्यार में पागल सी हो गई थी, धीरे-धीरे करवा चौथ का दिन भी बीत गया अगली सुबह हो गई दीपांशु का कोई अता पता नहीं था, और सुमन भी भूखी प्यासी हॉस्पिटल में पड़ी हुई थी, फिर सुमन के पिता और भाई ने दीपांशु का पता लगाने निकल पड़े और छानबीन करने के बाद पता चला कि उसकी नौकरी जयपुर में लगी हुई है, क्योंकि उसी के गांव का एक लड़का और भी वही काम करता था,
सुमन के भाई और पिता उसके ऑफिस का एड्रेस लेकर सीधा जयपुर उसके ऑफिस पहुंच जाते हैं, दीपांशु उन दोनों को अपने ऑफिस में देख पहचान लेता है,और उनके करीब आता है, लेकिन सुमन के पिता गुस्से में थे दीपांशु उनके पास जैसे ही आता है, सुमन के पिता उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा देते हैं, पूरे ऑफिस में सनसनी फैल जाती है, और सब दीपांशु को ही देख रहे होते, दीपांशु सर को नीचे करके खड़ा था, सुमन के पिता ने कहा तुम्हें शर्म नहीं आई तुम मेरी बेटी से प्यार करते हो और तुम उसे अकेला छोड़ कर बिना बताए यहां चले आए,तुम्हें पता है वह तुम्हारे बिना उसकी क्या हाल हो गया है,उसने तुम्हारे लिए करवा चौथ व्रत रखा और तुम उसे बिना बताए ही चले आए, तुम्हारी वजह से आज वह 3 दिन से भूखी प्यासी हॉस्पिटल में पड़ी है,वो कह रही है कि जब तक दीपांशु नहीं आएगा वह कुछ नहीं खाएगी, क्या तुम उसे एक बार बता कर नहीं आ सकते थे, तुम्हारे लिए वो एकदम पागल ही हो चुकी है, उसका दिमाग काम नहीं कर रहा है, वह बस तुम्हारा ही नाम ले रही है, यह सब बात सुन कर दीपांशु वहीं पर रोने लगा,और सुमन के पिता से हाथ जोड़कर बोलता है, अंकल प्लीज मुझे उसके पास ले चलो, और तुरंत ही वह लोग सुमन के पास आ जाते हैं, हॉस्पिटल में पड़े सुमन सिर्फ दीपांशु का ही नाम ले रहे थी, दीपांशु ने उसे बेड पर देखकर फौरन ही कदमों में सर को झुका दिया और जोर जोर से रोने लगा, सुमन प्लीज मुझे माफ कर दो, मैं अगर उस दिन नहीं जाता तो मेरी जिंदगी की सारी मेहनत बर्बाद हो जाती, मैं नहीं जानता था कि तुम मेरे बगैर 1 दिन भी नहीं रह पाओगे, दीपांशु सुमन के कदमों में अपने सर को झुकाए माफी मांग रहा था, तभी सुमन ने उसे सबके सामने अपने गले से लगा लिया, कुछ देर ऐसे ही दोनों एक दूसरे के गले लग कर रोते रहे,फिर शाम को दीपांशु सुमन को छत पर ले जाता है,और देर रात दीपांशु अपने हाथों से प्रिया का व्रत तोड़ देता है और दोनों खुशी-खुशी रहने लगते हैं
लेखक- दिलशाद अहमद
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