उसने फिर से मेरा हाल पूछा है कितना मुश्किल सवाल पूछा है।
दिन गुजरता है किस तरह ।कैसे गुजरा यह साल पूछा है।,
दिल चाहता है कि तेरा दीदार करूं फिर एक बार नए साल पर तुझसे प्यार करूं।,
लेकिन डर लगता है कहीं फिर से ना तोड़ दे मेरे दिल में बने आशियाने को यही सोचकर दिल रो परता है।
और मन से बोलता है उस बेवफ़ा को भूल जाने दे भूल जाने दे।,
इतनी तो जगह बना ली होगी मैंने तेरे दिल में।
क्यों कि कल को मर जाऊं तो तुम याद तो करोगी।,
खुदा जाने मोहब्बत में क्या दस्तूर है। हमने जिनको चाहा वो हमसे दूर है। हुस्न वालों में मोहब्बत की कमी होती है। या फिर चाहने वालों की तकदीर बुरी होती है।,
ना जाने किस मुकाम पर ले आई है यह मोहब्बत।
उसे पा भी नहीं सकते और भुला भी नहीं सकते।
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