वो खत ही तो था| एक खत की दस्ता।

 

वो खत ही तो था,| एक खत की दस्ता,। diltutaa.com

 

कभी किताबो मे तो अभी महबूब की बाहों में रहता था।बड़ा सुहाना होता था वो पल जब दो अंजानो को जान बना देता था।

वो खत ही तो था,।

 

कभी सीने से लगाते तो कभी तकिए के नीचे दबाते थे। कभी महबूब पास न हो तो वो पास होने का अहसास दिलाता था ।

वो खत ही तो था।,diltutaa.Com

मिलो दूर के सफर में भी। वो नजदिक्ये का अयहसास दिलाता था।

वो खत ही तो था।

तन्हाइयो में भी वो उसके महजूदगी का अहसास दिलाता ।

वो खत ही तो था।

जमाने को शिकायत थी हमारी मुहब्बत की कोई निशानी नही थी। मेने कहा ये खत ही तो हमारी पहली और आखरी निशानी है।

वो खत ही तो था।

जब भी देखता था। रात के अंधेरे में तारो को चांद के आस पास ।में भी उस जलन में खत को अपने सीने और दिल के पास रखता था।

वो खत ही तो था।,diltutaa.Com

तकलीफ होती है जब कोई अपना बना कर गैर कर जाता है ।और सपने दिखा कर तोड़ जाता है।महफिल की तरह बुला कर तन्हा कर जाता है।

 

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तकलीफ होती हैं, जब।

जब कोई मंजिल दिखा कर रास्ते से भटका देता है।मुहब्बत की राहों पर ला कर ।नफरत की राहों छोड़ जाता हैं।

तकलीफ होती हैं, जब।

जब कोई बेवफाओ को बदनाम करते करते खुद बेवफाई कर जाते हैं।चलते हैं राहों पर रहबर बन कर रहबरी करने वालो। रहनुमाओ की भी रहबर गुमराह कर जाते है ।

तकलीफ होती है।

यह मोहब्बत और रूह की बात की जाती है।

तकलीफ होती हैं जब ये मुहब्बत में रूह की नही बल्कि जिस्म की नुमाइश फरमाइश की जाती है ।

तकलीफ होती है।

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The end

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