रात 11 बजे के बाद इसस स्टेसन के पास सावरी नहीं लेना | horror storise

मेरा नाम मुकेश है और मैं एक टैक्सी ड्राइवर हूं मैं ज्यादातर रात में टैक्सी चलाता हूं क्योंकि दिन में ज्यादा टैक्सी ड्राइवर होने के कारण सवारी बहुत कम मिल पाती है।
इसलिए मैं रात में चलता हूं क्योंकि रात में अच्छी खासी दिहाड़ी हो जाती थी। मैं सवारी को रेलवे स्टेशन से उठता था उनके घर तक छोड़ कर आता था।
मेरा ऐसा रोज का रूटीन था मैं शाम को 8:00 बजे जाता था और दो-तीन बजे वापस आ जाता था।
इतने में मेरे हजार ₹1200 की दिहाड़ी हो जाया करती थी रोज की तरह मैं आज भी अपनी टैक्सी लेकर रेलवे स्टेशन पर गया लेकिन उस दिन पता नहीं क्यों मेरी बोहनी नहीं हो रही थी।
कोई मुझे सवारी नहीं मिल रही थी मैं रेलवे स्टेशन के चारों तरफ घूम रहा था लेकिन फिर भी कोई सवारी नहीं मिली तो ।
मैं अंदर में गया प्लेटफार्म पर वहां पर भी कोई सवारी नहीं मिली लोग तो आ रहे थे ।
लेकिन वह अपनी पर्सनल गाड़ियों से घर चले जा रहे थे।
उस दिन में काफी परेशान गया था सवारी ढूंढते ढूंढते लेकिन मुझे कोई सवारी नहीं मिली आखिर में था खाकर अपने घर जाने वाला था। यह सोचकर कि आज का मेरा दिन खराब है।
मुझे कोई सवारी नहीं मिली।

मैं आकर अपनी टैक्सी बैठा और चारों तर चारों तरफ देखा कि कोई सवारी तो नहीं है।लेकिन फिर भी कोई सवारी नहीं दिखी और टैक्सी को अपने घर की तरफ मुड़ा लिया।

जैसे ही मैं टैक्सी घुमा कर थोड़ी दूर जैसे गया मुझे हल्के हल्के अंधेरे में मुझे एक औरत खड़ी हुई दिखाई पड़ी अंधेरा इसका इस कदर था कि रेलवे स्टेशन पर लगी ट्यूब लाइट की रोशनी हल्का-हल्का वहां तक आ रही थी।

उसमें मैंने देखा कि एक औरत लंबे घूंघट रखे दो बैग लिए इस अंधेरे में खड़ी थी।
मैंने उससे पूछा की बहन जी कहां जाएंगे तो उसने मुझे एक गांव का नाम बताते हुए कहा कि हमें वहां जाना है। वह गांव रेलवे स्टेशन से लगभग 6 किलोमीटर दूर था ।
मैंने उसे किराय लगभग ₹100 में मेरा किराया था हुआ था।
ठीक है चलो मैं उसका बैग उठाकर अपनी टैक्सी में रखा और वह बीच वाली सीट पर आकर बैठ गई मैं टैक्सी लेकर चल दिया। मैंने उसे रास्ते में कई बार बोलने की कोशिश की लेकिन वह ज्यादा मुझसे बातें नहीं करती थी।

इसीलिए मैं भी उसे बातें नहीं कर रहा था कुछ दूर चलने के बाद लगभग 4 किलोमीटर चलने के बाद उसने मुझे एक जगह टैक्सी रोकने को कहा ।
वहां काफी अंधेरा था मैंने उतार के चारों तरफ देखा तो कोई घर और कोई मकान नहीं थी सिर्फ एक कब्रिस्तान था और कब्रिस्तान की दीवार थी ।
और थोड़ी दूर पर कब्रिस्तान का गेट था तो उसने मुझे वहीं पर bag उतरने के लिए कहा था मैंने उससे पूछा मैडम जी आप यहां कहां उतरेंगे आपका घर कहां है और यहां तो कुछ नहीं आसपास तो उसने कहा नहीं मुझे यहीं पर उतरना है ।

तो मैं हंसते हुए कहा ठीक है आपकी मर्जी आप जहां कहेंगे हम वहां उतार देंगे वह औरत उतरकर इस कब्रिस्तान की तरफ देख रही थी मैंने उसका बैग उठाकर उसके पास रखा और मैंने उससे पैसे के लिए कहा
एक बार में कहने से उसका कोई रिप्लाई नहीं आया ।
फिर मैं दोबारा उसका मैडम जी मुझे पैसे दीजिए मुझे घर जाना है तो उसने मुझे घूरते हुए कहा कि पैसे चाहिए या अपनी जान।

मैंने उसका चेहरा देखा तो उसका चेहरा बदल गया था। वह भयानक चुड़ैल जैसी लग रही थी उसकी आंखों की पुतलियां एकदम सफ़ेद थी बड़े-बड़े दांत उसके चेहरे की चमड़ी एकदम सड़ गई थी।

में डरकर पीछे मुड़ और गिर पड़ा और एक जोर की चीख निकल गई। मैं दोबारा उठकर अपनी टैक्सी में गया और टैक्सी मेरी स्टार्ट थी।

मैं टैक्सी लेकर मैं अपने घर भाग गया उस दिन मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई थी कि मैं बहुत ज्यादा डर गया था यह मेरे साथ पहली बार हादसा ऐसा हुआ था।

तब से दोस्तों मैं रात में टैक्सी चलाना बंद कर दिया है सिर्फ दिन में चलता हूं और 8:00 बजे से पहले पहले मैं अपने घर आ जाता हूं।

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