प्रदेश की जिंदगी किसी सजा से काम नहीं होती

यहां हर दिन खुशी से जिए नहीं जाते हैं यहां हर एक दिन गिन गिन कर मुसीबत से काटे जाते हैं|

प्रदेश की जिंदगी किसी सजा से काम नहीं होती | यहां हर दिन खुशी से जिए नहीं जाते हैं यहां हर एक दिन गिन गिन कर मुसीबत से काटे जाते हैं|
हम अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लिए हंस कर तो यहां जीते हैं लेकिन दिल के अंदर में घर और फैमिली का जो दर्द है वह हमेशा निचोड़ता रहता है|
यह सुबह तो होती है पर खुसी की नहीं टेन्सन डिप्रेशन ओर एक नई मुशीबत की सुरवात होती है |यह सब कुछ होने के बावजूद भी खुशी हमसे कोसो दूर रहती है।
हर रोज सुबह उठना अपने लिए नहीं किसी और के लिए नहाना धोना उसके बाद कम पर जाना सारा दिन मेहनत तो करते हैं लेकिन अपने लिए नहीं किसी और के लिए|

परदेशी का  दिले हाल

और बातें भी उसकी सुनाई पड़ती है काम करते वक्त कभी-कभी तो बुरे लफ्जों का भी सामना करना पड़ता है तब अपने इस आजाद जिंदगी पर बहुत शर्म आती है|
इसीलिए कहते हैं प्रदेश की जिंदगी किसी सजा से काम नहीं होती| जब कोई सीनियर बुरे लफ्जों को मेरे ऊपर इस्तेमाल कर रहा होता है तब हम उसे कुछ बोल भी नहीं पाते क्योंकि हम उसके गुलाम होते हैं।
वहीं तक ही नहीं सारा दिन थक हर कर जब हम रूम पर वापस आते हैं तो जो बचा कुछ समय होता है|
उसमें भी हम लोगों को खाना पकाना कपड़े धोने मे निकाल जाता है|
हमें अपने 24 घंटे की लाइफ में सिर्फ कुछ ही मिनट अपने लिए जीने को मिलते हैं|
यह सोचकर कि एक दिन अच्छे दिन आएंगे लेकिन धीरे-धीरे यह उमर कब निकल जाती हैं पता ही नहीं चलता|
बाद में हमें यह रिलायंस होता है कि मैंने जिंदगी को सिर्फ गुलामी के लिए ही जिया{ पैदा} हुए थे।

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