तेरा मेरी जिन्दगी में आना बहोत जरुरी था।
लड्डन मेरी जान आई लव यू तुम नहीं जानती कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं
जितना रांझा ने हीर से नही किया था।
लैला ने मंजनु से नही किया था ।
में तुमसे उतना प्यार करता हूं।
तुम मेरी जिंदगी में मॉल में लगी सीधी जैसे हो जो खुद तो चलती है और साथ में उन सभी अनजान मुसाफिर को भी साथ ले जाती है।
जब में इस अनजान शहर में अकेला आया था। मेरा कोई जानने वाला नही था।
में अपने आपको ऐसे महसूस कर रहा था। जैसे खुखर शेर के जंगल में सियार जैसा फील कर रहा था।
लेकिन फिर एक दिन तुम से मुलाकात हुए।और हमे एक नई उम्मीद जगी । तुम लोगो का साथ मेरे लिए ऐसा था।जैसे समुंदर में डूबते इंसान को राशि देने जैसा काम किया था ।
उसके बाद मेरा तुम लोगो के साथ 1 साल का दिन प्यार मोहब्बत से बहोत अच्छे से निलकल गया।उस बीच में कई दो दांत वाले खुखर पंछिओ से मुलाकात हुए थी । जो हमे देख कर टर टर की आवाज करते थे लेकिन में उनको इग्नोर करता रहा ।
जिंदगी यूंही अपनी रफ्तार से चल रही थी।
दिन ढल रहा राते निकल रही थी।
फिर एक दिन के उजाले में मुसीबत के काले बादल दिखे जिस दिन अरबब ने लड्डन लार्लिंग को 911 कम्पनी छोड़ कही और जाने को कहा । उस दिन हम सब को बहुत 🥺बुरा लगा था
अगर तुम चली जाती तो में हर शाम किसके साथ करता… मजाक😂 और इस बात के दुख की झुरिया सभी के चहरे पर ऐसे नजर आ रही थी। जैसे purdima की रात में चांद नजर आता है।
तुम गए मार्केट 50 दिरहम का बाग लेकर आए अपने कपड़े पैक किया और अब इंतजार था सुभा होने का कियू की तुम सुभा जाने वाली थी। लेकिन रात 9 बजे एक फोन आता है और माहोल को हिला कर रख देता है।
अब तुम्हारा जाना कैंसल हो गया था । उस दिन हमे और बुरा लगा तुम्हारा जाना कैंसल हो गया इस बात से नही बात ये थी की तुम्हारा 50 दिरहम का बाग लेकर आए थे वो वेस्ट हो गया था।
करा दिया न खर्चा।
ठीक है जो हुआ सो हुआ अभी हमे 2 साल होने वाले है अब बारी है मेरी जाने की ।
मैंने इन 2 साल के सफर ने बहुत कुछ सीखा है और बहुत कुछ खोया भी है..
मैने अपनी लाइफ के वो कीमती वक्त खोया है जो अब कभी वापिस नही आने वाले है।
मैंने इन 2 सालो में अपनो को खोया है।अपनी जिंदगी के वो अनमोल दिन खोया है अपना घर परिवार दोस्त गांव और गली खाई है
ओर जो मेने सीख है।
इन 2 सालो के सफर ने लोगो के चहरे से हकीकत का नकाब उठ गया ।
एक इंसान की जिंदगी में पैसा होना बहोत जरूरी है । आपके पास पैसा नही है तो आपकी इज्जत कोई नही करे गा घर के लोग हो या रिश्ते दर हो। लोग आपसे सिर्फ पैसे की डिमांड करे गै।जितना पैसा उतनी इज्जत देते है लोग
ओर कुछ दिन की दुरियो ने ये बता दिया की अपना कोन मानता है और अपना होने का दिखावा कोन करता है। वो जो कभी कसमे खाया करती थी की में तुहारी हूं वह सब झूठे निकले एक बात का तो पता चल गया मैं तुम्हारी हूं यह कहने से कोई किसी का नहीं होता यह सिर्फ इंसान को दिलासा देने के लिए कहा जाता है। उसे धोखे में रखने के लिए कहा जाता है
कभी-कभी इंसान की जिंदगी में मुसीबतों का आना भी आना बहुत जरूरी होता है।
नहीं तो अपने और गैरों का पता नहीं चलता जैसा मेरे साथ हुआ।
2 साल की लंबी दूरियों के बाद मुझे अपने और गैरों में जो फर्क है वह समझ में आ गया है।
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