ट्रेन मे हुआ पिशाच से सामना
कभी-कभी इंसान की जिंदगी में कुछ आएस हदश होता जिसे पूरी जिंदगी नहीं भुला पता |कुछ ऐसी ही हादसा मेरे साथ हुआ था|और जिसे मैं आज तक बुला नहीं पाया | जब भी झीम झीम करती बरसात रात के अंधेरे में अपना आंचल फैलती है और और उन्ही अंधेरे को चीरती हुई आसमानी काडकड़ती बिजली जब धरती पर पड़ती है |तो मेरे दिल और दिमाग में एक अजीब सी कंपान महसूस होता है| फिर मुझे अपनी बीते हुए दिनों के बारे में याद आती है और मैं डर कर घर के किसी कोने में दुपाक कर बैठ जाता हूं यह हादसा आज से 12 साल पहले मेरे साथ हुआ था |और उसे में आज भी नहीं बुला पाया हूं|
आखिर वो ट्रेन कॉनसी दुनिया की थी
तो चलिए मैं आपको बताता हूं जो घटना मेरे साथ घटी थी एक बार की बात है मे घर से कोलकाता के लिए जा रहा था |घर से कोलकाता 24 घंटे का सफर था| मैं अपने गांव के नेरिस्ट रेलवे स्टेशन पर कोलकाता जाने वाली ट्रेन पर बैठा था ट्रेन खटाखट की आवाज करती हुई तेजी रफ्तार से अपनी मंजिल की ओर चल रही थी |जिस बोगी में मैं बैठा था उसमें एकक -दुक्का लोग ही बैठे जैसे-जैसे ट्रैन अपनी मंजिल की तरफ जा रही थी वो इक्का-दुक्का लोग काम होते जा रहे थे| धीरे-धीरे ट्रेन चलती हुई काफी दूर निकल चुकी थी |और सफर के साथ-साथ उसमें बैठे मुसाफिर भी अब निकल चुके थे |उसस डिब्बे में सिर्फ मैं ही अकेला बचा हुआ था |
कड़कती हुई बिजलियां और खिड़की से बारिश की बूंदे अंदर
थोड़ी दूर चलने के बाद गाड़ी की रफ्तार थोड़ी धीमी होती है| क्योंकि उसस समय एक बहुत जोर की बारिश हो रही थी बारिश के चलते ट्रेन की जो रफ्तार थी वह काम हो चुके थी बारिश इतनी जोरों की थी कि उसे अंधेरे में दूर-दूर तक कुछ नहीं दिखाई दे रहा था |कड़कती हुई बिजलियां और खिड़की से बारिश की बूंदे अंदर आ रही थी उसस समय बहुत ही अच्छा लग रहा था लेकिन जितना अच्छा लग रहा था उतना उतना ही डर लग रहा था |क्योंकि उस बड़े से डब्बे में सिर्फ में ही एक अकेला पैसेंजर बैठा हुआ था |और मैं आपको बता दूं कि मैं पहले भी बहुत डरपोक किसिम का आदमी हूं क्योंकि मैं चुड़ैलों और भूतों पर ज्यादा यकीन रखने वाला हूं|
रात 11 बजे ट्रेन कोनसे स्टेशन पर रुकी थी| ओर वो आदमी कोन था
मेरा दिल कर रहा था कोई तो आए आए डिब्बे जिससे अकेले पान का जो डर वह थोड़ा निकल जाए लेकिन अब लगभग 3 घंटे का सफर निकल चुका था लेकिन कोई भी उसस डिब्बे मे नहीं बैठा था | ट्रेन अपनी ही रफ्तार से चले जा रही थी कुछ दूर और चलने के बाद ऐसा महसूस हुआ कि जैसे ट्रेन रुक रही हो और 10 से 15 मिनट के बाद वो ट्रेन एक जगह जाकर रुक जाती है| देखने पर लग रहा था कि कोई रेलवे स्टेशन था लेकिन बारिश की वजह से मुझे रेलवे स्टेशन का नाम दिखाई नहीं पड़ रहा था| मैंने बहुत देखने की कोशिश की कौन सा रेलवे स्टेशन है |लेकिन मुझे दिखाई नहीं दिया | मैंने सोचा कि अभी कोई पैसेंजर चढ़ेगी तो मैं उससे पूछूंगा बैठा मैं सोच ही रहा था |कि तभी एक इंसान अपना सामान समेटे हुए बारिश की बूंद से बचते हुए दौड़ता हुआ मेरी डिब्बे मे घुस गया |
जब मैंने उसका खाना लेने से मन किया तो
मैं उसे देखकर बहुत खुश हुआ चलो कोई तो है इस डिब्बे में आया जिसके साथ मेरा यह सफर काटने वाला है वो इंसान मेरी सामने वाली सीट पर आकर बैठ जाता है और एक प्यारी सी मुस्कान लेकर मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ाता है और कहता है| मेरा नाम मिस्टर घोष है और मैं कोलकाता जा रहा हूं एक पुनर्जन्म संबंधित एक कार्यक्रम मैं भाग लेने जा रहा हूं।और फिर मैं भी बताया मेरा नाम विष्णु है और मैं काम के सिलसिले में कोलकाता जा रहा हूं |फिर वो सीट पर बैठते हुए अपने सामान में से कुछ खाने की चीज निकलता है और मुझे भी खाने के लिए देता है| लेकिन मैं बहुत साककि | किस्म का आदमी हूं मैं ट्रैवल करते हुए ट्रेन पर याअनजानआदमी के हाथों का दिया कुछ खाता नहीं हूँ |इसीलिए मैंने बहुत ही नम्रता से उसके दिए हुए खाने को मैंने लेने से इनकार कर दिया|
वो आदमी ट्रेन से उतारने के बाद चली ट्रेन मे कैसे आ गया था |
फिर उसने हंसते हुए कहा डर रहे हो मुझसे तुम्हें लगता है कि मैंने इसमें कुछ मिलाया होगा| मैंने उसे कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है| फिर उसने कहा ठीक है अभी तो शुरुआत है |उसके इतना कहते ही मेरे शरीर में एक से शईहरन सी पैदा हो गई और मैं अंदर से डरने लगा था| इसके कहने का मतलब क्या था लेकिन मैं फिर भी उससे ज्यादा बातें ना करते हुए चुपचाप में अपनी ही सीट पर बैठा रहा| थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आता है और ट्रेन धीरे-धीरे करके वहां पर रुक जाती है |वह आदमी अपना सामान लेता है और नीचे उतर जाता है फिर वो से ट्रेन आगे की ओर चल देती है जैसे ही ट्रेन थोड़ी दूर चलती है कि वह आदमी एक दूसरे अपार्टमेंट से होते हुए अपना सामान लेकर मेरे सामने वाली सीट पर आकर बैठ जाता है |मैं उसे देखकर चौंक जाता हूं और मैंने उससे पूछा अभी तो आप उतर गए थे और आप वापस कब आए |तो हंसते हुए बोला कि मैं कुछ दिन रेलवे में भी काम किया हूं|
क्या उस आदमी का पुनर जनम हुआ था |वो पुनर जनम के बारे मे क्या जनता था |
और मुझे यहां का रूल सब पता है और हंसते हुए चुप हो जाता है |उसकी हरकते देखकर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था| कि आखिर हो क्या रहा है फिर उसने चुप्पी को तोड़ते हुए कुछ बातें करने लगा उसने मुझे पुनर्जन्म से रिलेटेड कुछ बातें पूछने लगा उसने मुझसे पूछा क्या तुम भूत प्रेत पर विश्वास करते हो| मैंने उसे हां कहा और फिर वह जोर-जोर से हंसने लगा उसने कहा यह सब बकवास है ऐसा कुछ नहीं होता भूत प्रेत एक बाहेम है |
बहुत सारी बातें उसके साथ करने के बाद मैं अपनी सीट पर सोने की कोशिश करने लगा क्योंकि रात अब अपने चरम पर थी | जैसे ही आंख लगी थी कि मुझे महसूस हुआ किसी ने मेरे गले पर गरम-गरम आग डाल दिया हो मैं घबरा कर उठा और देखने लगा तो कुछ नहीं था |वो जो आदमी था वह अपनी सीट पर शो रहा था मैं खड़ा होकर उसस डिब्बे मे चारों तरफ देखा डिब्बा पूरा सन्नाटा से छाया हुआ था |
आखिर कोन था जो सोने के बाद मेरा गल दबा रहा था |
और फिर से मैं अपनी सीट पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगा दोबारा मेरी आंख लगी ही थी कि मुझे अपने ऊपर एक जोरों का दबाव महसूस हुआ और साथ में हंसने की आवाज़ आ रही थी मे तुरंत घबरा कर उठा तो देखा तो कुछ नहीं था| वह सामने वाला आदमी भी नहीं था तभी वो आदमी 1 मिनट बाद बाथरूम से आता है और मुझसे पूछता है क्या हुआ आपको नींद नहीं आई| मैंने अपने घबराहट को रोकते हुए कहां नहीं पता नहीं क्यों नींद नहीं आ रही| और साथ ही अपने बाग से एक किताब निकलते हुए उसके सामने पढ़ने का नाटक करने लगा |खैर वो सामने वाला आदमी अपनी सीट पर आकर लेट जाता है वह कुछ ही देर बाद उसके खर्राटे मारने की आवाज आने लगती है| मैं भी थोड़ा अपनी बॉडी को ढीला छोड़ते हुए अपनी सीट पर लेट जाता हूं| ट्रेन कभी धीमी चलती तो कभी तेज होती है लेकिन जो मेरे दिल की धड़कन थी बहुत जोर की चल रही थी |
वो आदमी शो रहा था तो बाथरूम मे कोन था |
मुझे इस घबराहट की वजह से मुझे जोरों की पेशाब लगी हुई थी और मैं फिर उठकर बाथरूम की तरफ पेशाब करने के लिए जैसे ही बाथरूम का दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि वो आदमी बाथरूम में बैठा हुआ था यह देखकर मैं बहुत जोर का डर गया और वहां से भागते हुए अपने सीट की तरफ भाग सीट के पास पहुंचा तो देखा वह आदमी तो सो रहा था| लेकिन जो बाथरूम में था वह कौन था| मैंने उसे उठाते हुए उससे पूछा अरे भाई तुम यहां हो तो बाथरूम में कौन है| वह पहले उठा और अपनी आंखों को मींजते हुए उसने अपने चलाकी भारी हंसी से हंसते हुए बोला मैं अपने कई रूप में और कहीं भी हो सकता हूं और फिर जोर-जोर से हंसने लगा उसकी बात सुनते ही मैं पत्थर से जाम स गया था|और समझ में कुछ आ नहीं रहा था कि मैं क्या करूं |ट्रेन की रफ्तार से भी ज्यादा तेज मेरा दिल की धड़कन चल रही थी|
तुम्हार वजह से अभी तक पिशाचों का आस्तीततों जिंदा है |
मैं पसीने से तार बदल किसी निरजयु प्राणी के जैसे मैं उसके सामने खड़ा रहा फिर उसने कहा तुम तो भूतों और प्रेतों यकीन करते हो न तुम्हारे ही जैसे लोगों की वजह से भूत प्रेत और पिशाचों का अस्तित्व जिंदा है| तुम्हारा स्वागत है मेरे दोस्त और इतना कहकर वह हवा में अचानक पता नहीं कहां गायब हो गया| उसस समय में इतना डर गया था ऐसा लग रहा था कि हार्ट अटैक आने ही वाला है लेकिन मैंने अपने आप को संभालते हुए ट्रेन के कोने में जाकर बैठ गया| मेरा शरीर पसीने से तरबतर हो गया था|और डर से कंप रहा था | मैं डिब्बे के कोने मे बैठा ही था कि तभी मुझे महसूस हुआ कि डिब्बे में कोई गुस्सा है |
वो टीटी के भेस मे पिशाच था |
वो कोई और नहीं टिकट चेक करने वाला टीटी था| उसने मेरे पास आकर टिकट देखने के लिए टिकट टिकट दो बार का उसकी आवाज सुनकर मेरी जान में कुछ जान आई और मैंने अपना सिर ऊपर करके उस टीटी को देखने लगा मैंने जैसे ही उसे टीटी को दिखा मेरे सीने में अचानक से दर्द हुआ और मैं वहीं पर बिहोस हो गया | सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैं अस्पताल में था और मेरे आस-पास मेरे घर वाले खड़े थे| वो टीटी आदमी कोई और नहीं वो जो मेरे साथ यात्रा कर रहा था वो पिसच था |लेकिन तब से यह घटना मेरे दिल में ऐसे बैठ गई है कि मैं इसे कभी भुला नहीं सकता जब भी मैं यात्रा करता हूं तो मेरे साथ घटी सारी घटना है मेरी रूह को हिला कर रख देती है
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