मेरा पहला प्यार
हमें आज उसे बिछड़े हुए 10 साल हो चुके हैं और अभी भी उसके द्वारा कही गई हर बातें उसके साथ बिता हुए हर एक एक पल मुझे इस तरह याद है कि जैसे वह सिर्फ एक महीने ही पुरानी बात हो।
मुझे याद है जब मैं उसे पहली बार मिला था वह अपने खाला के यहां आई थी। उस समय में उसके लिए अनजान था ।और वो मेरे लिए अनजान थी ।अनजान होने के बावजूद भी पता नहीं क्यों जब मैं उसकी आंखों में देखा था तो मुझे कुछ एक मुस्कान भारी फीलिंग आने लगती थी ।
पहली ही मुलाकात मे उसने मेरे दिल को छु लिया था
इसके पीछे का क्या राज है वह खुद मुझे मालूम नहीं यह बात तब की है जब मैं 15 साल का था । उस समय मैं दसवीं की क्लास में पढ़ाई कर रहा था। एक स्कूल से घर वापस आया तो मैंने देखा मेरी पड़ोस में एक लड़की आई थी। उसे देखते ही पता नही कैसे मेरे कमल की स्माइल आ गए बाई चांस वोभी मुझे ही देख रही थी और मेरी मुस्कान को देखते हुए उसने भी मुझे मुस्कुरा दिया था। उसकी खाला एक उर्दू टीचर है और वो अपने खाला के यहां पढ़ने के लिए आई थी।
उसके खाला के घर से और मेरे घर का रिलेशन बहुत ही अच्छा था तो इसीलिए अक्सर में उसके घर में हमेशा आया जाया करता था।
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और जब से मैंने उसको देखा था तब से मैं और भी आने जाने लगा था। एक छोटी सी उम्र में किसी के प्रति इतना लगाव कैसे हो सकता है वह पहली बार था जब मैं किसी को अपने दिल से बहुत चाहता था। मेरी आंखें हमेशा उसे ही ढूंढती रहती थी मेरा दिल चाहता था कि मैं उसे हमेशा देखू क्योंकि उसकी बनावटी ही कुछ ऐसी थी उसके कजरारे नैन नक्श गोल मटोल चेहरा और लंबे काले बालों वाली वह मेरे दिल को बहुत पसंद आए थी।
और ऐसा भी नहीं था कि सिर्फ मैं ही उसे देखने के लिए जाया करता था।
एक छोटी सी उम्र में किसी के प्रति इतना लगाव कैसे हो सकता है|
कही न कही वो भी मुझे पसंद करती थी। क्यू की वो भी जब मुझे देखती थी तो एक हल्की सी मुस्कान छोड़ती थी और उसकी इसी मुस्कान ने तो मुझे दीवाना बना के रख दिया था। ये प्यार मोहब्बत ये सब मैं कुछ नहीं जानता था। लेकिन जब से मैंने उसे देखा था। तो समझ गया था कि प्यार क्या होता है दो-तीन दिन तक तो मैं ऐसे ही आता जाता रहा लेकिन उससे बोलने की हिम्मत मुझमें नही ।लेकिन एक दिन मेने हिम्मत करके मैंने उससे बात ही कर ली उस वक्त में थोड़ा डेरा हुआ था की कही उसे बुरा ना लग जाए लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ और वो थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन उसने अपने सर को नीचे रखते हुए मेरे सवालों का जवाब दे रही थी।
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उसी दिन से मेरे और उसके बीच में जो डर था वह खत्म हो गया था ।
उस दिन में बात करने के बाद में बहुत खुस था। इतना खुश था ।कि मैं उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता ।
धीरे धीरे वक्त के साथ-साथ हम दोनों एक अच्छे दोस्त बन गए थे अब ऐसा किसी दिन नहीं जाता था कि जब मैं उसको दिन में 15 से 20 बार देखना लूं या बातें ना कर लूं।धीरे-धीरे उसकी और मेरी दोस्ती को लगभग 6 महीने का दिन निकल चुका था।और इस बीच में हम लोगों से कई बार झगड़ा भी हुए लेकिन वह झगड़ा सिर्फ दो या तीन घंटे के होते थे। कभी मैं उसकी बातों से ना खुश होकर मैं उससे रूठ जाया करता था।
मुस्कुरा दे बस मैं उसकी सारी गलतियों को माफ कर देता था।
तो मुझे मनाने के लिए मेरे घर आया करती थी। मेरे लिए सिर्फ इतना ही काफी था कि वह मेरे सामने आकर एक बार मुस्कुरा दे बस मैं उसकी सारी गलतियों को माफ कर देता था।
एक दिन ऐसे ही हम दोनों घर के पीछे वाले मैदान में भाग दौड़ खेल रहे थे और मेरे दोनों के सिवा और भी कुछ लड़के थे। मैं अपनी गर्लफ्रेंड का नाम बता देता हूं मेरी गर्लफ्रेंड का नाम तबस्सुम है ।उस दिन भाग दौड़ी खेलते वक्त तबस्सुम और मैं इतने खुश थे कि पता नहीं कब तबस्सुम ने मुझे खेलते ही खेलते एक धक्का दे दिया और में जाकर दीवाल के एक ईंट से टकरा गया था ।और मेरे सर से खून भी निकलने लगा था
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यह देखकर तबस्सुम और बाकी सारे दोस्त बहुत डर गए थे मैं रोता हुआ अपने घर गया लेकिन मैंने तबस्सुम का नाम नहीं लिया मेरे घर वालों के पूछने के बाद मेरे बाकी दोस्तों ने तबस्सुम का नाम बता दिया
लेकिन मैं नहीं बताया उस दिन तबस्सुम बहुत देरी और सहमी हुई थी। उसे लग रहा था कि मैं उसे रूठ जाऊंगा और उसको डांट भी पड़ेगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था। उस दिन तो तबस्सुम अपने घर में थी और काफी डरी हुई थी ।
दूसरे दिन मैं घर हाल में बैठा हुआ होम वर्क पूरा कर रहा था दोपहर का समय था सब लोग सो रहे थे।
भोली सी सूरत और आंखों में आंसू लिए चुपकेवो मेरे पास आई उस दिन तबस्सुम बहुत ही प्यारी लग रही थी|
फिर तबस्सुम से भोली सी सूरत और आंखों में आंसू लिए चुपकेवो मेरे पास आती है और मेरा हाथ पकड़ते हुए मुझे सॉरी बोलती है उसकी शकल देख कर मुझे बहुत जोरों की हंसी आई लेकिन मैं फिर भी अपनी हंसी को कुछ ही कंट्रोल कर पाया था ।मैं उससे कहा कोई बात नहीं ऐसा होता है लेकिन फिर भी रोने लगी थी में उसे चुप कर रहा था ।बहुत ही प्यारी लग रही थी रोते हुए उसी दिन के बाद मेरे दिल में उसकी प्रति और भी प्यार बढ़ गया था।वह मेरी केयर कर रही थी धीरे-धीरे मैं और तबस्सुम एक दूसरे में काफी घुल मिल गए थे।
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2 साल का दिन निकल चुका था तबस्सुम कुरान पाक को पढ़ लिया था ।और मैं दसवीं क्लास से 12th में पहुंच गया था एक दिन जब मैं स्कूल से शाम 4:00 बजे मैं घर पहुंचा तो मैंने देखा है कि तबस्सुम के खाल के यहां एक आदमी आया हुआ था। में तबस्सुम से मिलने के लिए खाला के घर के सामने वाले पेड़ के पास बुलाया और उस आदमी के बारे मैंने पूछा तो उसने बताया कि वह उसके अब्बू थे। और तबस्सुम अब अपने घर जाने वाली है यह बातें सुनकर मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा और घबराहट ही होने लगी।तबस्सुम भी उस दिन मुरझाई हुई और नर्वस थी । सायद उसे भी हमसे बिछारने का गम था।
तबस्सुम अब अपने घर जाने वाली थक |
तबस्सुम कुछ देर मेरे पास थी और और उसके बाद वह वापस चली गए उसके अब्बू शाम होने की वजह से आज रात यहीं पर रुके थे ।और सुबह ही तबस्सुम को लेकर वह अपने घर जाने वाले थे दूसरा दिन सुबह के 10:00 बजे थे और मैं बहुत घबराहट में था क्योंकि मुझे पता था कि तबस्सुम आज घर चली जाएगी और उसी की वजह से मैं स्कूल भी नहीं गया था मैं उसके घर के सामने पेड़ के पास था और मैं उसी पेड़ के पास बैठा तबस्सुम को देखे जा रहा था कि वो कब जाएगी।
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मैं चाहता था कि मैं उसे जाते हुए देखूं थोड़ी देर बाद तबस्सुम के अब्बा ने अपनी मोटरसाइकिल निकाली और रास्ते में लगा दिया उसे पहले ही तबस्सुम वहां से जाए कि वह चुपके से छुप छुपा कर वो मेरे पास आए वो उस दिन काले सूट सलवार मैं बहुत खूबसूरत लग रही थी ।तबस्सुम हल्के मुस्कान लिए मेरे पास आई और मेरे उदास चेहरे को देखकर उसकी आंखों में आंसू भर आए थे। वह मेरे गाल पर हाथ फेरते हुए बोली मैं जा रही हूं और मैं फिर कब तुमसे मुलाकात होगी पता नही लेकिन जब तुम्हे मौका मिले गा तो तुम जरूर आना में तुहरी रह देखू गी।
उसने मेरी आंखों से बह रहे आंसू को अपने हाथो से पोछते हुए उसने मेरे होटों पर एक हल्की सी किसकी
उसने मेरी आंखों से बह रहे आंसू को अपने हाथो से पोछते हुए उसने मेरे होटों पर एक हल्की सी किसकी थी। वो मेरी लाइफ का पहला दिन था जो किसी लड़की ने मुझे किया था। तबस्सुम मेरे हाथों को पड़े वहीं पर बैठी थी 10 मिनट बाद तबस्सुम को उसके खाला के बुलाने की आवाज आई तबस्सुम आंखों से छलकती हुए अंसु लिए उठकर चली गई। उसके अब्बू ने उसे गाड़ी पर बैठाया और वहां से जाने लगे तबस्सुम जाते वक्त मेरी ही तरफ देखे जा रही थी। सब लोग उसे हाथ हिला कर उसे बाय बोल रहे थे।लेकिन मेरे अंदर इतनी हिम्मत भी नही थी की उसे अखरी बार हाथ हिला कर बाए बोल दु। क्योंकि उसे समय मेरी आंखों में आंसू थे ।
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मुझे पता था कि जितना मैं दुखी हूं उतना ही तबस्सुम भी दुखी होगी क्योंकि वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी उसके जाने के बाद अब मैं बहुत बेचैन सा रहने लगा था ।दोस्तों से काम मिलना रातों में जागना और अकेला रहनाअब मेरी आदत बन गए थी। में बुरी तरीके से डिप्रेशन में चला गया था । मेरा पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था मुझे अब तन्हाई और अकेलापन मुझे बहुत अच्छा लगता था।मैंने तबस्सुम की याद में कई रातें रोई है और ऊपर वाले से दुआ भी किया था के ऊपर वाले मुझे एक बार उसे मिला दे।
उस से बिछड़े हुए हमे 1 साल हो गए लेकिन उसकी कोई खबर नहीं आए |
लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा ऐसा लग रहा था मेरी दुआ बदुआ में बदल गई हो ।मुझे 1 साल का दिन निकल चुका था उसकी कोई हाल-चाल नहीं मिली थी और मैं अकेला तन्हा जीत रहा हालांकि वक्त के साथ-साथ धीरे-धीरे मैं अकेले रहना सीख गया था लेकिन उसके साथ बीते हुए वह दिन और रातें मुझे अभी भी सुकून से रहने नहीं देती कई बार मैंने उसके घर का पता भी लगाना चाहा लेकिन कोई भी पता नहीं लगा धीरे-धीरे ऐसे ही दिन निकलते रहे।
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एक दिन में शाम को जब स्कूल से घर आया तो मैंने देखा कि घर में एक मेहमान आए हुए थे जैसे ही मैं घर में इंटर हुए तो वो चले गए ।घर में पूछने के बाद पता चला कि वो शादी का कार्ड देने आए हैं । और उस कार्ड को घर वालो ने मेरे हाथो में दिया। मैं कार्ड को लेकर सोफे पर बैठ जाता हूं धीरे-धीरे मैं उसे कार्ड को खोलता हूं और उसे पर लिखे हुए शायरी को पढ़ाता हूं तभी मेरी नजर जाती है दुल्हन के नाम पड़ती है। मेरे सीने में अचानक दर्द होने लगे मुझे ऐसा लग रहा था।
उस खत को पढ़ते ही ….
कि मानो मुझे अभी ही हार्ट अटैक आ जाएगा। नाम लिखा था तबस्सुम हां वही तबस्सुम मेरी तबस्सुम उस दिन में इतना रोया था कि जितना मैं उसे बिछड़ते वक़्त नहीं रोया था ।लेकिन मैं इतना जानता हूं कि जितना मैं उसके लिए तड़प रहा था मैं रो रहा था वो भी मेरे लिए तड़प रही रही होगी वो मेरा पल-पल इंतजार कर रही होगी। उसकी नज़रें मेरी राह देख रही होगी लेकिन मैं बदनसीब जा नहीं सका ।शायद खुदा को मंजूर नहीं था और मेरी ही नजरों के सामने उसकी शादी हो जाती है।
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मेरी तबस्सुम किसी और की हो जाती है उसकी शादी दिल्ली में हुई है ।और मैं उसी के शहर में एक अंजाम मुसाफिर बनकर भटक रहा हूं ये उम्मीद लिए की कभी न कभी तो वो मुझे मिले गी एक बार ही सही उसे दिल भर के देखना चाहता हूं। उसके बिना में कैसे जी रहा हूं उसे अपने दिल का हल बताना चाहता हूं।
वो मेरा पल-पल इंतजार कर रही होगी।
लेकिन मुझे इतना पता है
वो मुझे कभी नहीं भूल पाए गी वो भी मुझे याद कर रही होगी। मेरे बारे में सोच रही होगी मुझे देखने के लिए तरस रही होगी और मेरी यादों में छुप छुप कर रो रही होगी। मैं खुद से दुआ करू गा वो जहा भी रहे खुस रहे ।
और इस बार नहीं तो अगली बार मैं तुम्हें जरूर मिलूंगा मेरा वादा रहा।
I LOVE 🫂♥You my dear
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