एक अजीब गाँव था जहां रात को चुपके से किसी के घर से अजीब आवाजें सुनी जाती थीं। लोग कहते थे कि उस गाँव में रात्रि के समय एक भूतनी घूमती है।
गाँव का एक बच्चा, राजू, ने इस बात का इंकार किया और निर्धारित किया कि वह रात्रि में उस अजीब आवाज की जड़ तक पहुंचेगा। एक रात, वह अपने घर से बाहर निकला और अंधकार में चला गया।
धीरे-धीरे उसने एक पुराने हवेली की ओर बढ़ते हुए आवाजें सुनीं। वह दरवाजे की ओर बढ़ता गया और वहां देखा कि हवेली में अजीब-अजीब रूपों के पुराने सामान और चीजें रखी हुई थीं।
राजू को वहां जाने के बाद एक अचानक सांसे थम गईं, और वह बहुत डर के साथ उसी स्थान से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। तभी एक छोटी सी बच्ची की आवाज सुनाई दी, "कौन हो वहां?"
राजू ने देखा कि एक छोटी सी लड़की वहां अकेली बैठी हुई थी। वह डर से कंपती हुई दिख रही थी। राजू ने अपना डर छोड़कर उससे बातचीत करना शुरू किया।
लड़की ने बताया कि वह एक पुराने गाँववाले की आत्मा है जो अपनी खोई हुई सांसों की तलाश में इस हवेली में रहती है। वह रात्रि में अपने गुमशुदा सांसों की ध्वनि सुनती है और उन्हें शांति देने का प्रयास कर रही है।
राजू ने उस लड़की को सहारा देने का निर्णय किया और मिलकर उन्होंने उस पुराने गाँववाले की सांसों की ध्वनि को शांत किया। वह हवेली में एक सजीव समृद्धि की भरपूर आत्मा के साथ रहने का निर्णय लिया।
इस अजीब गाँव में हवेली की आत्मा की कहानी ने सभी को यह सिखाया कि अक्सर हमें डर का सामना करना पड़ता है, लेकिन कभी-कभी वह डर हमें अच्छी चीजों का पता लगाने में मदद कर सकता है।
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