दोस्तो मैंने पहले और दूसरे पार्ट मैं देखा।
कुलदीप को एक दिन बस स्टाप पर एक लड़की मिलती है।
जिससे कुलदीप को प्यार हो जाता है। लड़की का नाम कोसल्या होता है।
लेकिन अचनक लड़की कही चली जाती है।
कुलदीप उसका बस स्टाप पर उसका इंतजार करता है लेकिन कोसल्या नही आती।
कुछ दिन बीतने के बाद कुलदीप थक हर जाता है और उसे मिलने की आस छोर देता है।
फिर उसे अपने ही ऑफिस की एक और लड़की से प्यार हो आता है। उसका नाम रोशनी होता है।
एक दिन कुलदीप रोशनी को डेट पे बुलाया है।
कुलदीप resturant में रोशनी का इंतजार कर रहा था लेकिन रोशनी नही आती।
तभी पिछे वाली टेबल से आवाज आती है। जब कुलदीप पीछे देखता है तो कोसल्या होती है।
उस दिन कोसल्या का बर्थडे होता है। और ओ अपने दोस्तो कै साथ पार्टी मानने आई थी।
कुलदीप कोसल्या को देख कर खुश हो जाता हैं।
और उस जन्म दिन की बताई देता है।
फिर कुलदीप ने कोसल्या को अपने दिल की बात बता ही रहा था की रोशनी आ जाती है।
रोशनी को देख कोसल्या गुस्से मैं वहा से चली जाती है।
अब यही से स्टार्ट होती है आगे की कहानी
पार्ट3।
कोन थी वो - रोशनी ने कुलदीप से पूछा
मेरी पुरानी दोस्त है_ लड़खड़ाती हुई जुबान मैं मैने कहा।
बड़ी अजीब थी _ रोशनी ने कहा
शायद _ यह सब छोड़ो चलो दिनार करते है। रोशनी ने कहा।
मैं पूरे वक्त कोसल्या के बारे में ही सोच रहे था।
ना जाने कोसल्या ने मेरे बारे मैं क्या सोचा रही होगी।
डेट पर मेरा सारा ध्यान कही और ही था। मैने पूरी रात इसी बारे मैं सोच और अपनी किस्मत को खूब कोसा।
अगले दिन जब मैं ऑफिस पहुंचा तो देखाकि वहा टेबल पर एक फूल का गुलदस्ता और एक कार्ड रखा हुआ था।
रोशनी ने भेजा था।कार्ड में लिखा था । कल रात के दिनार के लिए सक्रिय।
मेरा ध्यान कही और होने की वजह से गुलदस्ते में लगे फुल फीकी लग रहा था।
मुझे कुछ समझ nhi आ रहा था। की मैं क्या करू?
कोसल्या मेरा पहला प्यार था। उससे मुझे पहली नजर मैं प्यार हो गया था।
और कही ना कही वो भी मुझसे प्यार करती है। और यह प्यार हमारे दिल मैं हमेश याद रहे गा।
लेकिन मैं रोशनी को क्या बोलूं ।इस में उसकी क्या गलती है।
मेरा कुछ दिन इसी कसमस मैं गुजरे।
एक दिल रोशनी ने हमे दिनार के लिए दुबार पूछा । लेकिन मैने उससे बहाने बना कर टाल दिया।
हम और रोशनी ऑफिस मैं बात करते थे। लेकीन में अब हम रोशनी से धीरे धीरे दूर रहने लगा था।
मैं अब हर रोज फिर से उस बस स्टाप जाने लगा था ।
इस उम्मीद से की कोसल्या हमे दिख जाए।
मैं रोज उसी resturant मैं दिनार भी करने लगा मेरे मंथली सैलरी भी resturant के मालिक को जाने लगी resturant काफी मंहगा था। लेकिन मेरी उम्मीद तो उससे भी महंगी थी।
एक दिन जब मैं शाम को ऑफिस से निकल रहा था। तो रोशनी ने पूंछ ही लिया । कुलदीप क्या बात है।
तुम मुझसे भाग क्यों रहे हो।
भागू गा क्यों नही नही मैं बस थोड़ा आजकल बीजी चल रहा हु।_मैने कहा।
बिजी?? तुम ऑफिस से एक घंटे पहले निकल जाते हो" और मेरा फोन भी नही उठाते हो।तुम ठीक से बात भी नही करते हो।
सब कुछ ठीक है ना।- उसने पूछ।
"मैं कुछ जरूरी काम मैं उलझा हु कल बात करू ग बोल कर मैं निकल गया।
मैं हर रोज उस बस स्टाप पर उसका इंतजार करता रहता था।
हर रोज बारिश होती और मैं इसी उम्मीद मैं रहता की एक दिन कोसल्या मुझे जरूर मिले गै।
महीने निकल गए लेकिन कोसल्या नही दिखी।
मैने फिर भी हर नही मानी मैं एक दफा उसे खो चुका हूं । इस बार मैं नही खोना चाहता था।
फिर एक दिन उसी कैफे मेरी मुलाकात उसी के एक फ्रैंड से हुई।
मैने उससे कोसल्या के बारे मैं भी पूछा पर उसे कोई खबर नही था।
कोसल्या अब मेघालय में नही रहती उसकी जब अब दिल्ली में लग गए है। अब वो वही रहती है।" उसने कहा
मैं अब दिवांगी की हर सीमा पर कर चुका था।
मैने तुरंत से फैसला लिया।
मैं अब दिल्ली जाऊंगा वहा जा कर उससे खोजू गा।
क्या तुम उसका एड्रेस दे सकती हो या फिर उसका कोई टेलीफोन नम्बर??
मैं जरूर देती लेकिन उसने वहा जा कर उसने अपना नुबर ही बदल दिया है। और अब मेरे पस उसका नुबार भी नही है।
उससे बात किए हुए भी कई महीने हो गए है।
किसी के पास तो होगा।-मैने कहा
तुम इतने सवाल क्यू पूछ रहे हो।" उसने कहा
मुझे उससे बात करनी है। कुछ गलत फहमिया हो गई है जो दूर करनी है।
क्या तुम मेरी मदत नही करेगी। कोसीस करू गी।लेकिन बहुत मुश्किल है।फिर भी देखी गई।
मैने उसका नंबर लिया और घर जा कर अपना सामान पैक कर के दिल्ली के लिए रवाना हो गया।
पूरे रास्ते मैं यही सोचता रहा था की कैसे मैं उससे मिलु गा।
अगर उसके दोस्त को कोई खबर ना आई तो उसने फोन ना किया तो मैं उसे कैस ढूंढू गा।
सायद इश्क ने मेरे सूज बुझ कब्जा कर लिया था।
मैं बिना कुछ सोचे समझे ही कोसलता की और चल पड़ा।
क्या कुलदीप कोसल्या से मिल पायेगा।
क्या कोसल्या कुलदीप को अपनाए गै।
जानने के लिए पढ़े।,
part4
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