मेरे जिंदगी की सच्ची दास्तां अर्पण.
चांदनी जब अपना आंचल अंधेरी रात में दूर तक फैल आती है तब उसकी यादों का जखम मेरे दिल में फिर से नया हो जाता है
सावन की बारिश में जब अपनी खिड़की से बाहर देखता हूं तो दूर खड़ी अपने हाथों से इशारा करके वह मुझे अपने पास बुला रही है
जब चांदनी छत पर आती है तब ऐसा लगता है उसके पांव के घुंघरू मुझे बुला रहे हैं.
कभी-कभी दिल करता है दुनिया की मोह माया को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए तेरे पास आ जाऊं अब और नहीं सहा जाता तेरी जुदाई का गम.
क्या खता थी मेरी आपसे मेरे खुदा तुमने मुझे जीते जी जहन्नम की आग में अकेला जलने के लिए छोड़ दिया.
कैसे बयां करूं मैं अपने टूटे दिल का दर्द(अर्पण).
उस वक्त उम्र 25 साल की थी जब मैंने उसे पहली बार देखा था.
नीले कलर की ड्रेस पहनकर हाथ में ₹50 का नोट लिए आइसक्रीम वाले भैया के पास खड़ी आइसक्रीम ले रही थी.
दरअसल मेरे पड़ोस में एक शादी थी उसी के गांव में पड़ोस में रह रही आंटी के साथ में आई थी.
उन आंटी और मेरे घर से काफी पुराना रिश्ता था.
हालांकि मैं उन आंटी के बारे में कुछ नहीं जानता था.
उस वक्त मैंने उस लड़की पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
थोड़ी देर बाद वह आंटी मेरे घर पर आई.
मेरे घर मैं और मेरे पिताजी ही रहते हैं मेरी मम्मी की काफी समय पहले मृत्यु हो गई थी तो हम ही दो लोग रहते थे.
आंटी जी मेरे पिताजी से मिली और दुआ सलाम हो गया आंटी मेरे पिताजी को भैया बोलती थी
आंटी ने कहा भैया अब तुम अपने बेटे की शादी कर दो तुम्हारी तकलीफ मुझे देखी नहीं जाती.
तुम अपने हाथों से ही खाना पकाते हो बड़ा दुख होता है हमें यह देख कर.
मेरे पिताजी ने कहा बहन तुम ठीक तो कह रही हो लेकिन कोई अच्छे घर की लड़की मिले तब ना.
आंटी ने कहा मैंने लड़की देख रखी है अगर आप कहे तो मैं बात करा दूं.
लड़की बहुत ही नेक और होनहार है बस गरीब घर की है.
मेरे पिता ने कहा मुझे दहेज नहीं चाहिए वह मेरे घर का ख्याल रख ले बस मुझे इतना ही काफी है.
आंटी ने कहा तो ठीक है मैं लड़की मैं आपको अभी दिखा देती हूं .
अगर पसंद आए तो हां बोल देना बहुत ही नेक लड़की है
थोड़ी देर बाद आंटी लड़की को बुलाकर लेकर आई मैंने देखा तो चौक गया यह तो वही लड़की थी .
जो आइसक्रीम वाले भैया के पास खड़ी होकर आइसक्रीम ले रही थी.
आंटी ने पिता जी से कहा भैया देख लो लड़की बहुत ही नेक लड़की है तुम्हारे घर को स्वर्ग बना देगी लड़की देखने में ठीक थी ना तो गोरी थी ना काली थी मीडियम रंग में थी .
पिताजी ने कहा लड़की तो मुझे पसंद है.
लेकिन एक बार लड़के से भी पूछ लो शादी उसी को करनी है .
आंटी ने मुझसे कहा क्यों भैया क्या बोलते हो आप.
मैंने आंटी से नजर झुकाते हुए का आंटी आप लोगों को जो सही लगे उसी पर मैं राजी हूं .
लेकिन एक बार आप लड़की से भी पूछ लेना कि यह रिश्ता मंजूर है.
आंटी ने कहा यह सब मुझ पर छोड़ दो.
आंटी ने पिता जी से कहा भैया जी लड़की के पिता और ना भाई है.
लड़की की सिर्फ एक बूढ़ी मां है ज्यादा दान दहेज नहीं दे पाएंगे.
पिताजी ने कहा मेरा भी एक ही बेटा है मुझे सिर्फ एक अच्छी बहू चाहिए दान दहेज नहीं चाहिए
पर मेरी शादी पक्की हो चुकी थी कार्ड भी छप चुके थे 3 महीने बचा था मेरी शादी को.
मेरी दसवीं क्लास पास करने के बाद पिताजी ने टेलरिंग का काम सिखाया था.
काम सीखने के बाद मैंने खुद की अपनी एक दुकान डाली थी.
ज्यादा कमाई तो नहीं होती थी लेकिन इतनी होती थी की शाम को रोटी का जुगाड़ हो जाता था.
सुख और चैन की जिंदगी बीत रही थी.
शादी का दिन करीब आ गया घर में सब सजावट होने लगी धूमधाम से मेरी बारात गई.
मेरे पिताजी ने मेरी मां के बचे हुए गहने को बहू को देते हुए कहा बहू यह तुम्हारी सास के गहने हैं.
जो मैं तुम्हें आज दे रहा हूं इन को संभाल कर रखना तुम इसमें बहुत सुंदर लगोगी
मेरे पिताजी ने अपनी जिंदगी में कमाई भी सारी दौलत मेरी शादी में खर्च कर दी .
बहू घर पर आ चुकी थी अब मुझे रोज खाना पकाना बर्तन धुलने से फुर्सत मिल गई थी.
सब सुकून चैन शांति के साथ चल रहा था.
धीरे धीरे मुझे अपनी पत्नी से बहुत लगाव हो गया था.
मेरे पिताजी भी बहुत मानते थे .
कई सालों बाद मेरे घर में कोई औरत आई थी
मेरी मां की देहांत होने के बाद मैं और पिताजी अकेले पड़ गए थे
लेकिन अब धीरे-धीरे मेरे घर में खुशियां दोबारा आना स्टार्ट हो गई थी
मेरी पत्नी मुझे बहुत प्यार करती थी.
और साथ में मेरे पिताजी का भी ख्याल रखती थी
धीरे धीरे मेरी शादी को 4 साल बीत चुके थे
मेरे पिताजी की तबीयत थोड़ी थोड़ी खराब रहने लगी थी अब पहले से भी और ज्यादा मेरे घर में खर्चे आ गए थे.
दुकान मेरी धीरे-धीरे बंद होने की कगार पर आ चुकी थी
मानो ऐसा लग रहा था मेरी खुशी को किसी की बुरी नजर लग गई है.
कमाई मेरी बंद हो चुकी थी पिताजी के दवा के पैसे भी नहीं हुआ करते थे.
दिमाग काम करना बंद हो गया था अब मैं करता भी तो क्या करता
मेरे पिताजी ने जो मेरी बीवी को मेरी मां के जेवर दिए थे उसमें से कुछ जेवर पिताजी की दवाई के लिए बिक गए
मैं अपने हाथ पर हाथ रखकर बैठ नहीं सकता था मैं बाहर कमाने के लिए सोचने लगा
एक दिन मैंने प्लान बनाया कि मैं कोलकाता जाऊंगा कमाने के लिए
मैंने यह बात अपने पिताजी से और बीवी से बताई मेरे पिताजी ने तो मना कर दिया और मेरी बीवी के भी मन से नहीं था कि मैं जाऊं
लेकिन मेरी घर की परेशानी और पैसे की तंगी ने मुझे मजबूर कर दिया था
मैं उन सब की बातों को नहीं माना और मैं दूसरे दिन कोलकाता के लिए चला गया.
मेरा भी दिल अंदर से गवाही नहीं दे रहा था कि मैं पिताजी और अपनी पत्नी को छोड़ कर जाऊं
किसी तरह मैंने अपने दिल पर पत्थर रख के कोलकाता पहुंचा
उस समय कोलकाता इंडिया का सबसे बड़ा शहर हुआ करता था
मेरी कोई जान पहचान भी नहीं थी मैं पहली बार कोलकाता आया था
मैं इधर-उधर सड़कों पर भटक रहा था और आते जाते लोगों से काम के बारे में पूछ रहा था
मुझे काम कहीं नहीं मिल रहा था
निराश होकर सड़क के किनारे बैठा हुआ था मुझे यहां आए करीब 3 दिन हो चुके थे
अब मेरे पास पैसे भी नहीं बचे थे कि मैं घर वापस चला जाऊं
मैंने ऊपर वाले से मन ही मन अब यही दुआ कर रहा था कि ऊपर वाली कोई अपने फरिश्ते को भेज मेरी मदद के लिए
मैं निराश मन से वहीं पर बैठा रहा तभी एक अनजान व्यक्ति मेरे पास आया उसने कहा भाई तुम 3 दिन से यही पर बैठे हो कहां से आए हो
और जाना तुम्हें कहां है
मैंने उसे अपने दिल की बात बताई भाई मैं कमाने आया हूं
मेरा कोई जान पहचान का नहीं है
और मुझे यहां कोई काम ही नहीं मिल रहा
उस भाई ने मुझे बताया कि शहर जब आते हैं तो बिना किसी की सिफारिश के नहीं आते हैं
यहां पर कोई किसी का नहीं होता अब तो जो हो गया सो हो गया
आप मेरे साथ चलोगे तो मैं आपको काम दिला दूंगा मैंने भाई से कहा कि आपका बहुत-बहुत शुक्रिया होगा अगर आप मुझे काम दिला देंगे तो
उस भाई ने काम लगवा दिया था
एक सीमेंट गोदाम में वहां पर सिर मिनट की बोरियों ट्रक पर लाद नी होती थी
और ट्रक से गोदाम में लाडली होती थी यह काम होता था
काम मिलने के बाद मैंने अपनी बीवी को एक खत लिखा खत में मैंने लिखा कि मैं सही सलामत पहुंच गया हूं और जल्द ही मैं घर आऊंगा
मैंने कड़ी मेहनत की दिन बीते गए अब मुझे 1 महीने हो गए थे
यहां काम करते हुए मेरी पहले महीने की पहली तनखा मिली थी
मैं बहुत खुश था 1250 रुपए हुए थे मेरी पहली तनखा मैंने उस दिन नहाया धोया और खुशी खुशी अपनी जेब में पैसे रखकर मनी ट्रांसफर कराने जा रहा था
अचानक रास्ते में मुझे एक चोर मिल गया उसने मुझसे पैसे मांगे मैंने उसे मना किया उसने मुझे चाकू दिखाकर धमकाया मेरी पहले महीने की तनख्वाह थी
तो मैं कैसे दे सकता था
मेरे घर पर उन पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत थी मेरी और चोर की जटा पट्टी हो गई
उसके हाथ में चाकू था मैंने उसके हाथ को पकड़ा और मेरी और दोनों की झटपट हो गई
लड़ाई होते होते अचानक उसकी चाकू उसके पेट में ही जा लगी चोर बहुत तेज से चिल्लाया और वहीं पर उसकी मृत्यु हो गई
सब लोग सड़क पर ही खड़े देख रहे थे
मैं घबरा गया था मेरे हाथ पांव कांपने लगे थे
मैं सोच रहा था कि यह कैसे हो गया मैंने जानबूझकर नहीं किया था
लेकिन लोगों को लग रहा था कि मैंने इसे मार दिया
तभी अचानक पुलिस आ गई उसने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया
मुझे थाने ले गई और थाने से मुझे जेल पहुंच गया मर्डर के केस में मुझे 7 साल की सजा सुनाई गई थी मैं बहुत रो रहा था और माफी भी मांग रहा था
लेकिन मेरा कोई नहीं सुन रहा था क्योंकि मेरे हाथों खून हुआ था
अब मैं बहुत बुरे फंस चुका था ना ही मैं घर को जा सकता था और ना ही मैं अपने घर वालों को संदेश दे सकता था उस समय फोन का जमाना भी नहीं था कि फोन भी करा दूं
अब मुझे यहां मेरा एक दिन 1 महीने के बराबर हो गए थे अब तो मुझे रातों में नींद और ना दिन में चैन था
घर को याद करके रोता ही रहता था ही
कुछ दिन बीते
धीरे-धीरे मुझे आदत पड़ गई थी मेरे 7 साल पूरे हो गए थे
अब मुझे जेल में सब जाने लगे थे
मैंने जेल में बिताए एक-एक दिन गिनता रहा और एक-एक दिन मुझे याद रहा
अब मेरी बेल होने का दिन आ गया था
मैं खुश होने लगा था मुझे लगा कि अब फिर सब ठीक हो जाएगा
और पहले जैसा हो जाएगा मेरी बेल हो गई और मैं खुशी-खुशी घर आने लगा
उस दिन मैं बहुत खुश था कि मैं अपनी बीवी को मिलूंगा और देख कर मुझे मेरे गले से लग कर रो पड़ेगी
मन ही मन मैं खुशी-खुशी गांव पहुंचा और गांव में दाखिल होने लगा
गांव के लोग मुझे पहचान नहीं रहे थे लेकिन मैं सब को पहचान रहा था
सब को बताते गया सब लोग मुझे ही देख रहे थे मैं अपने घर के पास पहुंचा तो मेरे घर के सामने भीड़ लगी थी
मैंने सोचा क्या हो रहा है
मैंने गया देखा तो मेरे पिताजी खटिया पर लेटे आखिरी सांसे गिन रहे थे
उनके साथ में 6 साल की एक बेटी जो हाथ में पानी लिए चम्मच से उनके मुंह में डाल रही थी
मैं देख कर रो पड़ा पिताजी क्या हो गया आपको
और मेरी बीवी कहां है
लोग खामोश थे किसी के मुंह पर कोई आवाज नहीं थी सब मुझे ही देखे जा रहे थे
मैंने अपनी पत्नी का नाम लेते हुए पुकारा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला
मैं घर में गया इधर-उधर ढूंढने लगा मुझे ना मिले पर घबरा गया था
मैंने लोगों से पूछना शुरू किया लेकिन कोई कुछ नहीं बोल रहा था
मेरी आंखों में आंसू दिल में घबराहट के में रो रहा था कुछ लोगों ने आगे आए और मुझे चुप कराते हुए बोला कि जो हुआ सो हुआ तुम उसे भूल जाओ
मैंने उनसे पूछा क्या हुआ मेरी बीवी कहां है
तो उन लोगों ने बताया कि आपके चले जाने के बाद आपकी बीवी गर्भवती हो गई थी
और वही यह बच्ची है जो पानी पिला रही है तुम्हारा कोई खत ना आया और तुम्हारी याद में हमेशा रोती थी
वह हमेशा तुम्हारी राह देखती रहती थी और तुम्हारी लंबी उम्र के लिए रो-रोकर दुआएं करती थी
जब तुम्हारा 5 साल तक कोई खत ना मिला तो लोगों ने उसे कहने लगे कि वह तुम्हें छोड़कर भाग गया है
और उसने दूसरी शादी कर ली है
अब वह नहीं आएगा उसी टेंशन में रोए जा रही थी
तुम्हारी याद में वह खाना पीना सब छोड़ दिया था
धीरे-धीरे उसे एक बीमारी ने घेर लिया और चिल्ला चिल्ला कर उसने अपनी जान दे दी
और यह बच्ची को तुम्हारे पिताजी के हवाले छोड़ गई तब से तुम्हारे पिताजी भी बीमार रहते हैं
यह सब सुनकर मेरा जमीर फटने लगा था मेरे हाथ पाव जवाब देने लगे थे
अब मैं दहाड़े मार-मार के रोने लगा था
सब मेरे कंट्रोल से बाहर हो गया था
अब में रोए ही जा रहा था रोते-रोते शाम हो गई और शाम से फिर सुबह हो
गई मैं घर में गया बेडरूम का दरवाजा बंद था बिस्तर वैसे क वैसे लगा था
अलमारी से चाबी लटक रही थी और अलमारी का दरवाजा बंद था
अलमारी के ऊपर रखी हम दोनों के शादी की फोटो जिस पर धूल ने अपना कब्जा कर लिया था
मैंने उसे उठाया और कपड़े से साफ किया उस फोटो को देखकर मेरी आंखों में फिर आंसू आ गई
मुझे यकीन नहीं हो रहा था जिसे मैं कोई सपना देख रहा हूं
मैं अंदर ही अंदर अब एक दम टूट सा गया था
कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या करूं कहां जाऊं
मैंने जीने की तमन्ना छोड़ दी थी
मैंने अलमारी के दरवाजे को खोला कर कर आती हुई आवाज में अलमारी का दरवाजा खुला
मानो कि जैसे कई दिनों से किसी ने इसे खोला ना हो अलमारी में टंगी उसकी पर्स जो मैंने उसके शादी पर गिफ्ट किया था
वैसे की वैसे टंगी हुई थी
मैंने उसे उठाया और बाहर लेकर आए उसमें कुछ मेरी दी हुई निशानियां थी
और कुछ सामान पड़े थे उसमें एक चिट्ठी भी पड़ी थी
मैंने उस चिट्ठी को बाहर निकाला और हाथों से झटक ते हुए मैंने उसे खोला
उसमें लाल कलर से लिखा था मानव इसे खून से लिखा गया हो
उसमें लिखा था .
मेरे सरताज तुम्हारे चले जाने के बाद बाबू जी की तबीयत बहुत खराब हो गई थी
जो कुछ जेवर बची थी
मैंने वह सब भेज कर बाबूजी की दवा करा दी
तुम्हारे जाने के बाद मुझे पता लगा कि मैं गर्भवती हूं तुमने कोई चिट्ठी भी नहीं लिखा था बहुत दिन तक तुम्हारा कोई चिट्ठी ना मिलने पर
लोग मुझे ताने मारते थे और यह बोली करते थे कि उसने दूसरी शादी कर ली है
अब वह नहीं आएंगे लेकिन मुझे आपके ऊपर विश्वास था
कि आप आओगे मैं हर दिन आप आपकी राह देखी थी
आपकी लंबी उम्र के लिए दुआएं करती थी घर में खाने के लाले पड़ चुके थे
एक भी पैसा नहीं बचा था 9 महीने बाद मुझे एक बच्ची हुई उसके बाद मैं बहुत बीमार हो गई थी
मैंने नई हर से कुछ सामान को बेचकर इधर-उधर करके मैंने अपना इलाज कराए लेकिन मैं ठीक नहीं हो पाई थी
मैं आपकी यादों में रोए जा रही थी मुझे यकीन था कि आप आओगे
इसीलिए मैंने यह चिट्ठी लिख दी
डॉक्टर ने कहा था तुम्हारा ऑपरेशन करना पड़ेगा और ऑपरेशन के लिए ₹100000 की जरूरत पड़ेगी
इतना पैसा नहीं था और मैंने फिर दुनिया छोड़ दी जाते-जाते मैंने आपको यह खत लिखा
मुझे यकीन था कि आप आओगी और इसको पढ़ो गी मुझे माफ कर देना मैं आपका साथ जीवन भर नहीं निभा पाए
आप की दुलारी आई लव यू इस जन्म में नहीं तो अगले जन्म में हम जरूर मिलेंगे बस अपना ख्याल रखना और अपने आप को कोई दोष मत देना अलविदा.
यह सब पढ़कर मैं वहीं पर रोने लगा रोते-रोते मैं कब सो गया मुझे कुछ मालूम नहीं मैं उठा और अपनी 6 साल बेटी के पास गया और उसे अपने सीने से लगा लिया
दोस्तों यह एक सच्ची जीवन पर निर्मित कहानी है इस कहानी में हर एक शब्द ओरिजिनल है मानता हूं की लिखावट सही नहीं है लेकिन कहानी रियल है यह जीवन की सच्ची कहानी है (अर्पण)
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