एक लड़का था एक लड़की से अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था
यह दोनों एक दूसरे को करीब 2 साल से जानते हैं
यह दोनों एक ही कंपनी में जॉब करते थे
शुरुआत में यह दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे
और फिर न जाने कब इन दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई
इन दोनों में अब इतना प्यार हो गया था कि एक दूसरे के बिना एक भी पल काटना नामुमकिन सा हो गया था
उनकी दुनिया में सब कुछ अच्छा चल रहा था दोनों एक साथ शादी करने का फैसला भी कर चुके थे
टाइम बीतता गया एक दिन इनकी किस्मत मैं एक ऐसा मोड़ आ गया मानव की किस्मत ने इनका साथ ही छोड़ दिया हो
लड़की रोज की तरह 1 दिन ऑफिस जा रही थी बस से उतरने के बाद रोड क्रॉस कर रही थी
तभी अचानक एक कार लड़की को टक्कर मार देती है और
लड़की को बहुत ज्यादा चोट आ जाती है
जब यह बात लड़के को पता चलती है
तो दौड़कर अस्पताल पहुंचता है
जहां उस लड़की का इलाज चल रहा होता है
लड़की 4 दिन तक बेहोश पड़ी रहती है
4 दिन बाद जब लड़की को होश आता है
तब वह बहुत जोर से चिल्लाती है
उसकी चीखें सुनकर लड़का दौड़कर उसके पास जाता है
लड़का बोलता है क्या हुआ सरिता उस लड़की का नाम सरिता लड़के का विनय होता है
सरिता रोते हुए बोलती है
विनय मुझे कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा मेरी आंखों के सामने अंधेरा क्यों छाया है
विनय मुझे क्या हो गया विनय मुझे बचा लो विनय मैं जीना चाहती हूं
विनय सरिता को दिलासा देता है
सब ठीक हो जाएगा कुछ नहीं हुआ तुम्हें
और विनय वहां से उठकर डॉक्टर के पास जाता है
जहां डॉक्टर बोलते हैं सरिता अब कभी नहीं देख सकती
उसकी आंखों की रोशनी चली गई है
यह सुनकर विनय की आंखों में आंसू आ जाते हैं
और वह दुखी मन से सरिता के पास जाता है
जब यह बात सरिता को पता चलती है
तो सरिता जोर-जोर से रोने लगती है
और विनय से बोलती है
वह विनय को देखना चाहती है
उसे महसूस करना चाहती हूं
लेकिन वह चाह कर भी विनय को देख नहीं सकती
फिर विनय सरिता से झूठ बोलता है डॉक्टर बोल रहे थे तुम्हारी आंखें ऑपरेशन से ठीक हो जाएंगी और तुम अगले महीने तक देख सकती हो
सरिता यह सुनकर थोड़ा शांत हो जाती है
और दोनों घर आ जाते हैं
विनय सरिता का ख्याल रखता है
हर पल उसी के साथ रहता है
खुद से कभी दूर नहीं जाने देता था लेकिन सरिता अब बहुत मायूस हो चुकी थी
अब वह किसी से ज्यादा बातें करती थी
बस एक ही जगह पर बैठी रहती थी
उसकी परेशानी विनय को देखी नहीं जा रही थी
क्योंकि सरिता से बहुत प्यार करता था
विनय ने सोच लिया था की सरिता को अपनी आंखें डोनेट करेगा
विनय ने ऑपरेशन के लिए पैसा इकट्ठा करना शुरू कर दिया था कुछ दिन में पैसा भी कट्ठा हो गया
विनय ने डॉक्टर से बात कर ली थी
कि वह अपनी आंखें सरिता को देना चाहता है
अब सरिता कल से फिर दुनिया को देख सकेगी
क्योंकि सरिता को विनय की आंखें मिल जाएगी ऑपरेशन के
1 दिन पहले विनय वह हर एक पल सरिता के साथ जीना चाहता था
जो उसने शादी के बाद जीना चाहता था
वह उसे बहुत सारा प्यार देना चाहता था
उसे खुद का ख्याल रखने के लिए कहता था
और साथ ही यह भी कहता है
मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं मैं जानता हूं कि तुम भी मुझे बहुत प्यार करती हो
पर मुझसे एक वादा करो अगर कभी मुझे कुछ हो जाता है
तो तुम अपना ख्याल रखो गी उसकी ऐसी बातें सुनकर सरिता उसे गले लगा कर बोलती है
प्लीज आप ऐसा मत बोलो आप मेरी जिंदगी हो मुझे मौत मंजूर है पर तुम से जुदाई नहीं
मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती
सरिता का ऐसा प्यार देखकर विनय अपने आप को रोक नहीं पाता और बहुत जोर जोर से रोने लगता है
उसे रोता देख सरिता भी रोने लगती है
फिर रोते रोते दोनों एक दूसरे की बाहों में सो जाते हैं
जब अगली सुबह सरिता डॉक्टर के पास जाती है तो बहुत खुश होती है
और विजय से पूछती है मेरे ऑपरेशन के लिए आंखें किसने डोनेट क्या है
विनय हंसते हुए सरिता से कहता है
एक आदमी को हमने अपनी और तुम्हारी कहानी सुनाई तो उस आदमी आंखों का इंतजाम कर दिया है
अस्पताल पहुंचने के कुछ देर बाद सरिता की आंखों का ऑपरेशन शुरू हो जाता है
फाइनली 1 घंटे ऑपरेशन होने के बाद डॉक्टर कामयाब होते हैं
डॉक्टर उसकी आंखों की पट्टी 4 दिन बाद खोलने के लिए कहते हैं
4 दिन तक सरिता हॉस्पिटल में ही रहती हैं
ऑपरेशन के बाद विनय सरिता के पास आता है
और उससे कहता है
सरिता कुछ काम के सिलसिले में बाहर जाना था
मैं जल्द ही वापस आ जाऊंगा
लेकिन सरिता उसे मना करती है बोलती है विनय मैं सबसे पहले तुम्हें देखना चाहती हूं
विनय मुस्कुराते हुए बोलता है मुझे देखने के लिए पूरी उम्र पड़ी है
अभी मुझे जाना है
विनय सरिता को मना लेता है
और विजय चला जाता है
4 दिन बाद डॉक्टर उसकी आंखों से पट्टी खोलते हैं सरिता सब कुछ देख रखी थी
वह बहुत खुश थी
उसने विजय को फोन मिला है
लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था
सरिता को लगता है विजय काम में बिजी होगा इसीलिए फोन बंद आ रहा है
और वह घर वापस आ जाती है
सरिता विजय का इंतजार करने लगती है
सरिता विनय का इंतजार करते हुए 1 महीने बीत चुके थे
लेकिन विनय अभी तक नहीं आया
सरिता बहुत दुखी हो चुकी थी
कुछ दिन के बाद सरिता ने अपने घर की साफ सफाई कर रही थी
कभी उसे बेड के नीचे से है लेटर मिला उसमें लिखा था मेरी डिअर सरिता मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं
इसलिए मैं तुम्हें परेशान नहीं देख सकता था
जब तुम उदास रहती थी
तो मेरे दिल पर चोट लगती थी
फिर मैंने सोच लिया कि मैं तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूं
और जिस आंखों से तुम देख रही हो वह मेरी ही आंखें हैं यह खत मैंने इसलिए लिखा कि तुम्हें यह न लगे कि
विजय ने मुझे धोखा दिया मैंने जो कुछ किया तुम्हारी खुशी के लिए किया
मैंने अपने प्यार के लिए किया
तुम हमेशा खुश रहना और अपना ख्याल रखना
और जब भी मेरी याद आए तो तुम आईने के सामने खड़े होकर अपने आप को देखना तुम्हारी आंखों में
मैं नजर आऊंगा
अच्छा चलता हूं बाय अलविदा
तुम्हारा विनय
खत पढ़कर सरिता की आंखों में आंसू आ जाते हैं
और वह जोर-जोर से रोने लगती है
सरिता आज भी विनय को अपना पति मान चुकी थी और उसने आज तक अपनी शादी नहीं की और विनय के इंतजार में उसकी राह देख रहे हैं


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